Azhar Maqsusi: दुनियाभर में अनाज की कमी नहीं है, लेकिन इसके बावजूद बहुत से लोग भूखे रह जाते हैं। उन्हें दो वक्त की रोटी तक नसीब नहीं हो पाती है। इसे असमानता कहें या फिर निर्धनता या फिर लोगों की उदासीनता, लेकिन यह सच है कि आज भी अपने देश की एक बड़ी आबादी भूखों मरने के लिए मजबूर है। तभी तो वैश्विक भूख सूचकांक में भी भारत की स्थिति अपने पड़ोसी मुल्कों बांग्लादेश और पाकिस्तान की तुलना में भी काफी खराब है। ऐसे भी केवल इंसानियत दिखाकर ही इन भूखे लोगों की मदद की जा सकती है। इनका पेट भरा जा सकता है। ऐसे ही भूख से तड़पते लोगों को रोजाना भोजन कराने का जिम्मा एक शख्स ने पिछले 8 वर्षों से उठा रखा है। ये रोजाना 1200 भूखे लोगों को भोजन करा रहे हैं।
इस शख्स का नाम है अजहर मकसूसी। ये पिछले 7 वर्षों से रोजाना गरीबों को भोजन करा रहे हैं। हैदराबाद में दबीरपुरा पुल के नीचे दोपहर के वक्त हर दिन सैकड़ों लोगों को ये अपने हाथों से भोजन परोसते हैं। वर्तमान में यह 7 जगहों पर भूखे लोगों को भोजन करवा रहे हैं।
अजहर ने भूख को बड़े ही नजदीक से देखा है। हैदराबाद के चंचलगुड़ा के एक पुराने इलाके में उनका जन्म हुआ था। जब वे केवल 4 साल के थे, तभी उनके पिता की मौत हो गई थी। इसके बाद घर में पांच बहनों की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई थी। अजहर के मुताबिक उनके नाना के परिवार की ओर से उन्हें सहयोग तो मिला, लेकिन उन सभी की भी जिम्मेदारियां अधिक थीं। ऐसे में अजहर के मुताबिक उन्हें कभी एक दिन में एक बार तो कभी दो दिन में एक बार ही भोजन नसीब हो पाता था। ऐसे में भूख से उनका पुराना रिश्ता रहा है।
अजहर जब 12 साल के थे तो उन्होंने ग्लास फिटिंग का काम करना शुरू कर दिया था। इसके बाद कुछ समय तक उन्होंने दर्जी के तौर पर भी काम किया। वे रुके नहीं। वर्ष 2000 में जब वे 19 साल के थे तो उन्होंने प्लास्टर ऑफ पेरिस का काम करना शुरू कर दिया। आज भी वे यही काम कर रहे हैं और इसी से वे अपनी आजीविका चला रहे हैं। उसी दौरान अजहर के मुताबिक उनकी शादी भी हो गई। अजहर के आज तीन बच्चे भी हैं।
भूखों को खाना खिलाने की अपनी मुहिम के बारे में अजहर की ओर से बताया गया है कि वर्ष 2012 में वे दबीरपुरा में रेलवे स्टेशन के नजदीक से जब गुजर रहे थे तो यहां उन्हें एक महिला भूख से बिलखते हुए दिखी थी। लक्ष्मी नाम की इस महिला ने उन्हें बताया था कि पिछले 2 दिनों से उसे कुछ भी खाने को नहीं मिला है। ऐसे में अजहर के मुताबिक उन्होंने खाना खरीद कर उस महिला को खाने के लिए दिया था।
अजहर कहते हैं कि यह एक छोटी सी घटना जरूर थी, लेकिन इसने उन्हें पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया था। उन्होंने अपनी पत्नी से अगले दिन खाना बनवाया और रेलवे स्टेशन के पास ले जाकर उन्होंने 15 लोगों को भोजन करवाया था। इसके बाद यह एक तरीके से उनकी दिनचर्या का हिस्सा ही बन गया। वे कहते हैं कि भूख का कोई धर्म, कोई जाति नहीं होती। वे हर धर्म, हर जाति, हर वर्ग, हर क्षेत्र, हर आयु के लोगों को भोजन कराकर उनका पेट भरना चाहते हैं।
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वर्तमान में अजहर रायचूर, बेंगलुरु, गुवाहाटी और टांडूर सहित सात स्थानों पर रोजाना लगभग 1200 लोगों को भोजन करवा रहे हैं। अजहर की यह मुहिम वाकई सराहनीय है और बाकी लोगों को भी ऐसा करने की प्रेरणा देती है।
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