Jodhpur Farmer: कोरोना वायरस से इस वक्त पूरी दुनिया एक युद्ध लड़ रही है। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में केवल सरकार ही नहीं, बल्कि आमजन भी आगे आ रहे हैं। भारत में कोरोना संकट का सामना करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से लॉकडाउन की अवधि को बढ़ा दिया गया है। अब लॉकडाउन 3 मई तक जारी रहने वाला है। ऐसे में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें लॉकडाउन के दौरान कई तरह की परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है। विशेषकर मजदूर और किसान, जिनकी रोजी-रोटी हर दिन काम करने से मिलने वाली आजीविका से चलती है, उनके लिए बड़ा संकट पैदा हो गया है। ऐसे में देश में कोई भी इंसान भूखा न सोए, इसके लिए सरकार के साथ आमजनों की ओर से भरसक कोशिशें की जा रही हैं।
किसानों को अन्नदाता कहा जाता है। यही एक अन्नदाता किसान इस वक्त राजस्थान में लोगों के लिए फरिश्ता बनकर सामने आया है। जोधपुर के उम्मेदनगर का रहने वाला एक किसान इस वक्त यहां के लोगों के लिए जो कर रहा है, वह वास्तव में कोई फरिश्ता ही कर सकता है। इस किसान ने अपनी जिंदगी भर की 50 लाख रुपये की जमा पूंजी कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में लगा दी है। यह अपने गांव के आसपास के लगभग 80 गांवों के 6000 परिवारों की इस वक्त मदद करने में जुटा हुआ है, ताकि इनमें से किसी भी परिवार का सदस्य एक समय भी भूखा न रह जाए।
देश में जब कोरोना महामारी से लड़ने के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया तो इसके बाद उन्मेदनगर के रहने वाले पाबूराम मंडा ने यह निर्णय कर लिया कि वे जरूरतमंदों की मदद के लिए जो कुछ बन पड़ेगा, सबकुछ करेंगे। ऐसे में उन्होंने अपनी पत्नी मुन्नीबाई के साथ मिलकर अपने आसपास के गांवों में रहने वाले जरूरतमंद परिवारों की मदद के लिए राशन की व्यवस्था करनी शुरू कर दी। अनुमान के मुताबिक वे अभी तक 50 लाख रुपये इसमें लगा चुके हैं। इस काम में उनके बेटे रामनिवास भी उनकी पूरी मदद कर रहे हैं। पाबूराम अपनी पत्नी और अपने बेटे के साथ मिलकर लोगों के लिए भोजन बनाने से संबंधित हर जरूरी सामग्री जमा करके उन तक पहुंचा रहे हैं। अब तक उनकी ओर से 2000 से भी अधिक परिवारों को मदद पहुंचाई जा चुकी है।
पाबूराम के एक और बेटे भागीरथ मंडा इस वक्त दिल्ली में इनकम टैक्स विभाग में डिप्टी कमिश्नर के तौर पर सेवा दे रहे हैं। उनके हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि उन्हें अपने माता-पिता पर वाकई बहुत गर्व है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी यह नहीं सोचा था कि उनके माता-पिता कोरोना वायरस के संकट में इस तरीके से जरूरतमंदों की मदद करने का कदम उठाएंगे और वह भी इतनी जल्दी इस काम को अंजाम देंगे। उनके मुताबिक जोधपुर के ओसियां और तिंवरी तहसील में पड़ने वाले लगभग 80 गांवों के करीब 6000 परिवारों की मदद उनके मां-बाप कर रहे हैं।
मंडा परिवार की ओर से राहत सामग्री अब तक 2000 परिवारों तक पहुंचाई जा चुकी है। इनके अलावा बचे चार हजार परिवारों तक भी इन राशन सामग्री को पहुंचाने की व्यवस्था उनकी ओर से की जा रही है। छोटे-छोटे वाहनों के जरिए ये लोग राशन जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचा रहे हैं। इनके द्वारा दिए जा रहे राशन में आटा, दाल, तेल, नमक, हल्दी, मिर्ची, धनिया, साबुन, बिस्किट, माचिस जैसी रोजाना इस्तेमाल में आने वाली चीजें शामिल हैं। एक पैकेट तैयार करने में लगभग 750 रुपये का खर्च आ रहा है। मंडा परिवार की ओर से उठाया गया यह कदम बाकी लोगों को भी कोरोना के खिलाफ जंग में योगदान देने के लिए प्रेरित कर रहा है।
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