Rukmani Riar IAS: संघ लोक सेवा आयोग यानी कि UPSC की परीक्षा में सफलता प्राप्त करना बहुत ही कठिन होता है। इसके लिए उम्मीदवारों को दिन-रात कठिन मेहनत करनी होती है और पूरी तरह से तल्लीन होकर इसकी तैयारी करनी पड़ती है। यूपीएससी में सफल होने वाले बहुत से ऐसे उम्मीदवार भी हैं, जिनकी संघर्ष की कहानी हैरान कर देती है। ऐसी ही एक उम्मीदवार का नाम है रूक्मिणी रायर, जिन्हें वर्ष 2011 में यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी मिली थी। इसके बाद तो वे बहुतों के लिए मिसाल ही बन गईं।
जिस तरीके से टीना डाबी ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी हासिल कर ली थी, उसी तरीके से रुक्मिणी रायर को अपने पहले ही प्रयास में इस परीक्षा में सफलता मिली थी। रूक्मिणी रायर की सफलता इसलिए बेहद खास मानी गई है, क्योंकि यह रुक्मिणी छठी कक्षा में फेल हो गई थीं। यही नहीं रुक्मिणी ने इस परीक्षा में सफलता बिना किसी कोचिंग सेंटर में पढ़ाई किए ही केवल अपनी मेहनत के दम पर हासिल की है। उन्होंने सिर्फ सेल्फ स्टडी की और यूपीएससी की परीक्षा में अपनी कामयाबी का झंडा गाड़ दिया।
रुक्मिणी चंडीगढ़ की रहने वाली हैं। वर्ष 2011 में उन्हें सिविल सेवा परीक्षा में देशभर में दूसरा स्थान हासिल हुआ था। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से रुक्मिणी ने मास्टर्स की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने यह परीक्षा दी थी और पहले ही प्रयास में उन्होंने इसमें सफलता अर्जित कर ली। एक साक्षात्कार के दौरान रुक्मिणी ने बताया था की छठी में वे फेल हो गई थीं। दरअसल, उन्हें डलहौजी के एक सेक्रेड हार्ट स्कूल में पढ़ने के लिए भेज दिया गया था। बोर्डिंग स्कूल के दबाव को वे झेल नहीं पा रही थीं। रुक्मिणी के मुताबिक उन्होंने फिर भी हार नहीं मानी। अपनी नाकामयाबी को उन्होंने कभी भी अपनी कमजोरी नहीं बनने दी।
रूक्मिणी रायर (Rukmani Riar IAS) के मुताबिक के छठी में फेल होने के बाद वे गहरे डिप्रेशन में भी चली गई थीं। उन्हें अपने पेरेंट्स और टीचर्स के सामने आने में शर्म आती थी, क्योंकि उन्हें यही लगता था कि वे क्या कहेंगे? रूक्मिणी ने यह भी बताया था कि कुछ समय तक डिप्रेशन में रहने के बाद उनके दिमाग में यही आया कि इस असफलता का बोझ लेकर वे आगे नहीं बढ़ सकतीं। उन्होंने अब इसे ही अपना हथियार बनाने की ठान ली। उन्होंने इसे एक प्रेरणा के तौर पर देखा। उन्होंने यह निर्णय लिया कि बहाने बनाने से या किसी को दोष देने से कुछ नहीं होगा। जो करना है, अब वह खुद से करना पड़ेगा।
रुक्मिणी (Rukmani Riar) ने अब अपने मन में यह विचार पक्का कर लिया था कि वे रुकने वाली नहीं हैं। उनके मुताबिक यदि आप में धैर्य है और आप पूरा दिल लगा कर तैयारी करते हैं तो दुनिया की किसी भी परीक्षा में आपको सफल होने से कोई रोक नहीं सकता। छठी में फेल होने के बावजूद इससे प्रेरणा पाकर आगे बढ़ते हुए रूक्मिणी रायर ने न केवल अपने कॉलेज में हमेशा टॉप किया, बल्कि सिविल सेवा परीक्षा में भी दूसरा स्थान हासिल करके उन्होंने अपनी प्रतिभा, अपनी मेहनत और अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति का लोहा मनवा लिया।
सिविल सेवा की परीक्षा देने से पहले रुक्मिणी ने कई गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर भी काम किया था। वे चाह रही थीं कि उन्हें देश के हालात की अच्छी समझ हो जाए। रुक्मिणी के मुताबिक न तो उन्होंने कभी भी पढ़ाई छोड़ने की सोची और न ही किसी तरह का कोई गलत कदम उठाने की। रूक्मिणी के मुताबिक टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में पढ़ाई करने से उन्हें काफी मदद मिली। इसके बाद कई एनजीओ में काम करने के दौरान उन्हें जमीनी हालात की अच्छी समझ हो गई। इसलिए उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने के लिए बना लिया, ताकि आईएएस बनकर समाज में वे उन बदलावों को ला सकें, जिन्हें लाना वे जरूरी समझती हैं।
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