Kerala News: संघ लोक सेवा आयोग यानी कि UPSC की परीक्षा में शामिल होकर सफलता हासिल करके IAS और IPS बनने की चाहत भला किसकी नहीं होती? कुछ ही समय पहले यूपीएससी की ओर से एक बार फिर से ऑनलाइन फॉर्म के लिंक को सक्रिय कर दिया गया है। जो अभ्यर्थी इसके लिए आवेदन करना चाहते हैं, वे इसकी वेबसाइट पर जाकर इस बारे में अधिक जानकारी हासिल कर सकते हैं। हालांकि, यूपीएससी में सफलता पाना हर किसी के बस की बात नहीं होती, क्योंकि यह देश की सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षा मानी जाती है। इस परीक्षा में शामिल होने के लिए एक तरह से तपस्या करनी पड़ती है। तब जाकर इसमें किसी को कामयाबी नसीब हो पाती है।
यहां हम आपको UPSC की परीक्षा में सफल हुई एक ऐसी उम्मीदवार के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने वर्ष 2018 की सिविल सेवा परीक्षा में सफलता अर्जित की थी और उन्होंने 410वां रैंक प्राप्त किया था। इनका नाम श्रीधन्या सुरेश है। ये केरल (Kerala News) के वायनाड की रहने वाली हैं। वही वायनाड, जहां से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे हैं।
वायनाड को केरल के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक माना जाता है। खुद श्रीधन्या सुरेश ने भी अपने इंटरव्यू में इसका जिक्र किया था। श्रीधन्या यहां की कुरिचिया जनजाति से नाता रखती हैं। दिहाड़ी मजदूर के तौर पर श्रीधन्या के माता-पिता काम करते थे। श्रीधन्या के पिता जहां धनुष और बाण बनाकर बाजार में बेचने के लिए जाते थे, वहीं श्रीधन्या की मां मनरेगा मजदूर के तौर पर काम करती थीं। श्रीधन्या तीन भाई-बहन हैं। परिवार की आय के साधन सीमित थे। ऐसे में इन तीनों की परवरिश बेहद तंग आर्थिक हालात में हुई। सरकार की ओर से श्रीधन्या के पिता को थोड़ी जमीन तो मिल गई थी, लेकिन उनके पास इतने पैसे ही नहीं थे कि वे यहां अपना घर बना सकें। ऐसे में उन्हें छोटे से घर में ही रह कर काम चलाना पड़ा।
श्रीधन्या ने अपना चयन होने के बाद एक इंटरव्यू में यह बताया था कि उनके समुदाय की एक अच्छी खासियत यह है कि इसमें बेटे और बेटी में किसी तरह का फर्क नहीं किया जाता है। बाकी आदिवासी समुदायों में इस तरह की चीजें देखने को मिलती हैं, लेकिन उनके पिता ने कभी भी गरीबी को उनकी तैयारी के बीच नहीं आने दिया। किसी भी तरीके से वे अपनी बेटी को लगातार प्रोत्साहित करते रहे, ताकि वह आईएएस बनकर दिखा सके। गरीबी ने चाहे परिवार को कितना भी परेशान क्यों न किया हो, लेकिन श्रीधन्या के मुताबिक उनके पिता ने कभी भी गरीबी को पढ़ाई का रास्ता नहीं रोकने दिया।
प्रारंभिक पढ़ाई तो अपनी श्रीधन्या ने वायनाड में ही रहकर की थी, पर स्नातक की पढ़ाई उन्होंने कोझिकोड से की। साथ ही उन्होंने कालीकट यूनिवर्सिटी से एप्लाइड जूलॉजी में स्नातकोत्तर की उपाधि भी बाद में प्राप्त की। उन्होंने अनुसूचित जाति विकास विभाग में क्लर्क के पद पर कुछ समय तक काम किया। इसके अलावा आदिवासी हॉस्टल के वार्डन के रूप में भी उन्होंने कुछ समय तक सेवा दी।
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श्रीधन्या के अनुसार वायनाड के तत्कालीन कलेक्टर श्रीराम समशिवा से वे बहुत ही प्रेरित हुई थीं वे उन्हें अपना आदर्श मान रही थीं। उन्होंने बताया था कि श्रीराम समशिवा ने भी उन्हें UPSC की तैयारी करने के लिए प्रेरित किया था। बाद में वे यूपीएससी की तैयारी के लिए तिरुअनंतपुरम भी चली गई थीं।
इंटरव्यू के लिए चयन तो हुआ पर यह दिल्ली में होना था। दिल्ली जाने के लिए पैसों की जरूरत थी। ऐसे में श्रीधन्या के सामने यह एक बड़ी समस्या पैदा हो गई कि आखिर वे दिल्ली कैसे पहुंचेंगी और यहां का खर्च कहां से मिल पाएगा? फिर श्रीधन्या के मुताबिक उनके दोस्तों ने मिलकर करीब 40 हजार रुपये जमा करके उन्हें दिए थे, जिसकी बदौलत वे दिल्ली पहुंच पाई थीं।
दिल्ली पहुंच कर उन्होंने IAS का इंटरव्यू दिया और जब परिणाम आया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, वे केरल की पहली आदिवासी महिला IAS बन गयी थीं। श्रीधन्या के चयन के बाद बधाई देने वालों का उन्हें तांता लग गया था। प्रियंका गांधी तो उनके घर तक बधाई देने के लिए पहुंच गई थीं। यहां तक कि राहुल गांधी ने भी ट्वीट किया था और ट्वीट करके उन्हें शुभकामनाएं देते हुए उनके सुनहरे कॅरियर की कामना की थी।
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