Ahoi Ashtami Vrat Puja Vidhi 2021: भारतीय संस्कृति में महिलाएं भिन्न भिन्न प्रकार के व्रत करती हैं…उन्ही व्रतों में से एक है अहोई अष्टमी (Aohi Ashtami) का व्रत संतान की लंबी आयु व उनकी सुख समृद्धि, जीवन में उन्नति व खुशहाली के लिए किया जाता है। साथ ही निःसंतान महिला अगर ये व्रत करें तो उन्हे अहोई माता के आशीर्वाद से संतान की प्राप्ति होती है। इस दिन महिलाएं दिनभर निर्जल व्रत रखती हैं और शाम होने के बाद तारे देखकर व्रत खोलती हैं। कहा जाता है कि अहोई माता को देवी पार्वती का रूप माना जाता है और इसी दिन उन्ही की पूजा होती है।
अष्टमी तिथि 28 अक्टूबर 2021 दिन गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 51 मिनट से शुरू हो रही है, जो अगले दिन 29 अक्टूबर सुबह 02 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। इस दिन पूजा का शुभ समय शाम 6 बजकर 40 मिनट से 8 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
अहोई अष्टमी की कथा कुछ इस प्रकार है – प्राचीन काल में एक साहुकार था, जिसके सात बेटे और सात बहुएं थीं। साहुकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी। दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गईं तो ननद भी उनके साथ चली गई। साहुकार की बेटी जहां मिट्टी काट रही थी उस स्थान पर स्याहु (साही) अपने सात बेटों से साथ रहती थी। मिट्टी काटते हुए गलती से साहूकार की बेटी की खुरपी की चोट से स्याहू का एक बच्चा मर गया। स्याहू इस पर क्रोधित होकर बोली, “मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी”.
स्याहू के वचन सुनकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभियों से एक-एक कर विनती करती रही कि वह उसके बदले अपनी कोख बंधवा लें। सबसे छोटी भाभी ननद के बदले अपनी कोख बंधवाने के लिए तैयार हो जाती है। इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे होते हैं वे सात दिन बाद मर जाते हैं. सात पुत्रों की इस प्रकार मृत्यु होने के बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका कारण पूछा। पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी
छोटी बहू ने सुरही गाय की सेवा की और उस गाय को स्याहु के पास ले जाती है। रास्ते में थक जाने पर दोनों आराम करने लगते हैं। अचानक साहुकार की छोटी बहू देखती है कि एक सांप गरुड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है और वह सांप को मार देती है। इतने में गरुड़ पंखनी वहां आ जाती है और खून बिखरा हुआ देखकर उसे लगता है कि छोटी बहू ने उसके बच्चे के मार दिया है। इस पर वह छोटी बहू को चोंच मारना शुरू कर देती है। छोटी बहू इस पर कहती है कि उसने तो उसके बच्चे की जान बचाई है। गरुड़ पंखनी इस पर खुश होती है और सुरही सहित उन्हें स्याहु के पास पहुंचा देती है.
वहां स्याहु छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहू होने का अशीर्वाद देती है स्याहु के आशीर्वाद से छोटी बहू का घर पुत्र और पुत्र वधुओं से हरा-भरा हो जाता है।
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