Holi Par Kya Nahi Karna Chahiye: सनातन संस्कृति में होली का बहुत महत्व है और हर साल होली के 8 दिनों पहले से होलाष्टक का समय शुरू हो जाता है, होलाष्टक के समय शुभ कार्य करने की मनाही होती है। हालांकि इस समय पूजा-पाठ किया जाता है और इन 8 दिनों के समापन के बाद होलिका दहन का त्यौहार मनाया जाता है।
होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर मनाया जाता है, होलिका दहन का त्यौहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि में मनाया जाता है। इस वर्ष होलिका दहन का त्यौहार 24 मार्च के दिन मनाया जाएगा और इसके अगले दिन रंगों का त्यौहार होली मनाया जाएगा।
हिन्दू धर्म-शास्त्रों में कई ऐसे काम बताए गए हैं जिन्हें होली के अवसर पर नहीं करना चाहिए अन्यथा कई बुरे अंजाम भुगतने पड़ सकते हैं। आज के इस लेख में हम आपको ऐसे ही कई चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें होली के पावन अवसर करने से बचना चाहिए।
होलिका दहन के अवसर पर होलिका माता की पूजा की जाती है और उनसे घर में सुख समृद्धि की कामना की जाती है इसीलिए इस दिन तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। चूंकि होलिका दहन का अवसर पूर्णिमा तिथि के दिन पड़ता है और सनातन संस्कृति में पूर्णिमा की तिथि को बहुत ही पवित्र माना गया है ऐसे में इस दिन मांस और मदिरा का सेवन वर्जित माना जाता है। ऐसा करने से धन हानि और शारीरिक समस्याओं से सामना करना पड़ सकता है।
बुजुर्ग हमेशा अच्छे कार्य करने की सलाह देते हैं, इसीलिए उनका सम्मान सदैव करें खास तौर पर होली के अवसर पर बुजुर्गों का अपमान करने से बचें। इस दिन बुजुर्गों का अपमान करने से भगवान हमसे अप्रसन्न हो सकते हैं और घर में कलह पैदा हो सकती है।
कहा जाता है कि होलिका दहन के दिन दूसरों के घर भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से घर में रोग दोष प्रवेश कर सकते हैं। जहां तक संभव हो इस दिन अपने घर में शुद्ध भोजन बनाकर ईश्वर को भोग लगाएं और उस प्रसाद को पूरे परिवार के साथ ग्रहण करें।
कहां जाता है कि होलिका दहन के अवसर पर नकारात्मक शक्तियां प्रबल पर होती हैं इसीलिए महिलाओं को अपने बाल खुला नहीं छोड़ना चाहिए। ऐसा करने से घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश कर सकती हैं।
होलिका दहन के दिन गर्भवती महिलाओं को होलिका की परिक्रमा नहीं करनी चाहिए ऐसा करने से गर्भ में पल रहे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है इसके अलावा भी गर्भवती स्त्रियों का अग्नि परिक्रमा करना वर्जित माना गया है।
ऐसी पौराणिक मान्यताएं हैं कि नव विवाहिता स्त्री को शादी के बाद पहली होली अपने मायके में मनानी चाहिए और किसी कारणवश अगर वह स्त्री होलिका दहन के अवसर पर ससुराल में रहती है तो उसे होलिका की अग्नि नहीं देखनी चाहिए। अगर कोई स्त्री होलिका की अग्नि अपने ससुराल में देख लेती है तो फिर ससुराल और मायके दोनों ही पक्षों में दरिद्र का वास होता है और घर में अशांति बनी रहती है।
होली का त्योहार परस्पर भाईचारा और सद्भाव का त्यौहार है ऐसे में सभी द्वेषों को बुलाकर एक दूसरे को गले लगाना चाहिए और आपस में मिल जुलकर इस त्यौहार को मनाना चाहिए। होली के दिन किसी भी प्रकार का कलह आपके पारिवारिक और सामाजिक जीवन को प्रभावित कर सकता है और ऐसा करने से आपके जीवन में अशांति बनी रह सकती है।
यदि आप अपने आर्थिक स्थिति में सुधार चाहते हैं तो होलिका दहन पर किसी को भी पैसे उधार ना दें और ना ही किसी से उधार पैसे ले ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलिका दहन के दिन पैसों का लेन-देन आपके अर्थ तंत्र को बिगड़ सकता है।
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