Karwa Chauth Puja Vidhi: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को हर साल करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सुहागन अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती है। कुछ जगहों पर पति भी अपनी पत्नी के लिए यह व्रत रखता है। रात्रि के वक्त चांद को छलनी से देखने के बाद सुहागन चांद के सामने जल गिरा कर अपने इस व्रत को तोड़ती हैं। इस साल करवा चौथ का व्रत 20अक्टूबर को मनाया जाएगा। ज्योतिष की माने तो इस साल पढ़ने वाले करवा चौथ पर चार अद्भुत संयोग पढ़ रहे हैं। ऐसा संयोग करीब 70 साल के बाद पड़ रहा है। यह व्रत महिलाओं के लिए थोड़ा कठिन होता है क्योंकि इस दौरान जल का भी सेवन नहीं किया जाता है। व्रत वाले दिन शाम के समय विवाहित महिलाएं भगवान शिव, माता पर्वती, गणेश और कार्तिकेय की विधिवत पूजा करती हैं।
इस साल करवा चौथ के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 46 मिनट से शाम 07 बजकर 02 मिनट तक मान्य है. उस दिन महिलाओं को पूजा के लिए सवा घंटे का समय प्राप्त होगा.
करवा चौथ का व्रत दुनिया भर में जहां जहां भारतीय फैले हैं वहां वहां मनाया जाता है। देश के कई भागों में करवा चौथ को करक चतुर्थी के नाम से भी पुकारा जाता है। करवा का मतलब होता है मिट्टी का एक प्रकार का बर्तन जिससे इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। अर्थ मतलब चंद्रमा को जल देना। यह करवा चौथ की पूजा के दौरान आवश्यक सामग्रियों में से आता है। जिसे पूजा के बाद किसी ब्राह्मण को दान स्वरूप भेंट कर दिया जाता है। करवा चौथ के दिन दोपहर के वक्त महिलाएं इकट्ठा होकर गीत संगीत करते हैं और एक दूसरे को व्रत की कथा सुना कर पूजा करती हैं। ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ की व्रत कथा के अलावा इस दिन गणेश की कथा भी कही जाती है। मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा करने से ही चौथ व्रत की पूजा संपन्न होती है। दरअसल चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेशजी हैं और करवाचौथ के दिन संकष्टी चतुर्थी होती है जिस दिन गणेशजी की पूजा का विधान है।
करवा चौथ के व्रत से एक दिन पहले ही सारी पूजन सामग्री को इकट्ठा करके घर के मंदिर में रख दें। पूजन सामग्री इस प्रकार है- मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे।
करवा चौथ वाले दिन व्रतियों को सूर्योदय होने से पहले उठ जाना चाहिए। चुकी इस दिन महिलाएं ना तो भोजन ग्रहण करती हैं ना है जल, करवा चौथ पूरी तरह से निर्जला व्रत होता है। इसीलिए सूर्योदय से पहले सरगी का नियम करना चाहिए। सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन सूर्योदय से पहले ग्रहण करें और पानी पिए। सूर्योदय होने के बाद स्नान ध्यान करके भगवान की पूजा एवं निर्जला व्रत करने का संकल्प लें। इस पूरे दिन ना तो आप खाने के बारे में सोच सकते हैं और ना ही खाना ग्रहण कर सकते हैं। पूरे दिन बस मन में ईश्वर का ध्यान लगाए रखें। दोपहर के वक्त भगवान गणेश और करवा चौथ व्रत की कथा सुने। शाम को एक बार फिर से स्नान ध्यान करके भगवान की आराधना करने के बाद चांद के निकलने का इंतजार करें। जब चांद निकल जाए तो मंत्र उच्चारण के साथ चांद को अर्घ दे और फिर अपने व्रत को तोड़े।
इस बार करवा चौथ पर पूरे 70 साल बाद मंगल योग बन रहा है। ज्योतिष के मुताबिक साल 2024 के करवा चौथ के दिन रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग है। जिसे बेहद ही फलदाई माना जाता है। अधिकांश घरों में पति अपनी पत्नी को जल पिलाकर करवा चौथ का व्रत तोड़वाते हैं।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत रखा जाता है। माना जाता है कि इस दिन यदि सुहागिन स्त्रियां उपवास रखें तो उनके पति की उम्र लंबी होती है। साथ हैं उनका गृहस्थ जीवन काफी सुखद बीतता है। वैसे तो हमने पहले भी आपको बताया कि दुनिया भर में इस त्यौहार को धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन उत्तर भारत खासकर पंजाब हरियाणा राजस्थान उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में इस दिन एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है। चौथ का व्रत सुबह 4:00 बजे से ही शुरू हो जाता है और रात्रि चांद के दर्शन के बाद या व्रत समाप्त होता है। नियम के मुताबिक विवाह के बाद लगातार 12 या 16 साल तक इस व्रत के दिन उपवास किया जाता है। लेकिन अगर कोई चाहे तो जीवन भर हर साल इस व्रत को रख सकता है।
करवा चौथ व्रत में कथा सुनना है जरूरी (Karwa Chauth Puja Vidhi)
करवा चौथ में जितना महत्व व्रत और पूजा का है, उतना ही महत्व करवा चौथ के व्रत की कथा सुनने का भी होता है। इस व्रत को नियम के साथ रखा जाता है। बिना व्रत कथा को सुनें ये व्रत अधूरा माना जाता है। इसलिए पहली बार व्रत रखने वाली महिलाओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पूजा के साथ करवा चौथ व्रत कथा जरूर सुनें।
व्रत के दिन इस मंत्र का उच्चारण
“ऊॅ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम।
प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥”
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