Sharad Purnima Kheer Benefits in Hindi : अश्विन मास में पड़ने वाली पूर्णिमा की तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। अश्विन मास का यह पूर्णिमा अपने आप में काफी खास माना जाता है। इस दौरान चावल की खीर खाने की परंपरा है। शरद पूर्णिमा के बारे में कई सारी पौराणिक और शास्त्रीय मान्यता है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक शरद पूर्णिमा के पीछे यह कहानी है कि इस दौरान भगवान विष्णु अपने 4 महीने के शयन के अंतिम चरण में थे। इसी दौरान शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। वही शास्त्रीय मान्यता में यह जिक्र है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि को चांद कुल 16 कलाओं से सुसज्जित होकर चांदनी और शीतलता बरसाता है। इसलिए यह रात्रि शरद पूर्णिमा की रात्रि कहलाती है। इतना ही नहीं, यह भी कहा जाता है कि उस रात आसमान से चंद्रमा अमृत वर्षा करती है। ऐसे में जो भी व्यक्ति शरद पूर्णिमा की चांदनी रात को चावल की खीर बनाकर पूरी रात खुले में रखता है। वह खीर अमृत युक्त हो जाती है। ऐसा कहते हैं कि खीर को खाने वाले व्यक्ति के शरीर से सारे रोग और दुख समाप्त हो जाते हैं।
ब्रज में इस दिन मनता है रास पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा को ब्रज क्षेत्र में रास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ महा रास किया था। शरद पूर्णिमा की रात्रि को कृष्ण की बांसुरी से निकलने वाली मधुर संगीत को सुनकर वृंदावन में गोपियां रात भर कृष्ण के साथ नृत्य करने के लिए अपने घरों और परिवारों से दूर जंगल में छिप गई थीं। इस दौरान भगवान कृष्ण ने गोपियों का साथ देने के लिए अपने कई सारे छवियों की रचना की। ऐसी मान्यता है कि ब्रह्मा द्वारा रचे गए इस रात को काफी लंबा किया गया था। ऐसा अरबों वर्षों में कभी नहीं हुआ था। शरद पूर्णिमा को कई स्थानों पर कोजागरा (लक्ष्मी पूजा) कौमुदी व्रत के रूप में भी मनाया जाता है। कोजागरा मिथिलांचल का पारंपरिक पर्व है। इस पर्व में नवविवाहित पुरुषों को उसके ससुराल पक्ष से मखान (मखाना), पान सहित कई प्रकार की मिठाइयां भेजी जाती हैं।
इस साल क्या है शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त [Sharad Purnima Significance]
हिंदी पंचांग के मुताबिक हर साल शरद पूर्णिमा का व्रत आश्विन मास की पूर्णिमा के दिन ही रखे जाने की परंपरा है। अश्विन पूर्णिमा इस साल 30 अक्टूबर को शाम 05:45 से हो रहा है. जो अगले दिन 31 अक्टूबर को 08:18 मिनट तक रहेगा।