Solah Somvar Vrat Vidhi: हमारे भारतीय संस्कृति में व्रतों का बहुत महत्व है। वैसे तो आमतौर पर अक्सर ही कोई ना कोई व्रत या त्योहार आदि पड़ते रहते हैं जिस दौरान लोग देवी-देवताओं की भक्ति में लीन रहते हैं और अपनी श्रद्धा से व्रत रखते हैं। हालांकि, सामान्य व्रतों के अलावा भी कुछ ऐसे व्रत रखे जाते हैं जिनका विशेष महत्व होता है, जैसे सप्ताह के सात दिनों के व्रतों में सोमवार का व्रत काफी ज्यादा ख़ास माना जाता है। इसके अलावा आपने “सोलह सोमवार” के व्रत के बारे में भी सुना होगा, जो आजकल से ही नही बल्कि पौराणिक समय से किया जाता रहा है। मान्यता के अनुसार सोलह सोमवार का व्रत कुंवारी कन्या करती है ताकि उसे अच्छा वर मिल सके। इस व्रत का बहुत ही ज्यादा महत्व माना गया है और इसे पूरे सोलह सप्ताह तक प्रत्येक सोमवार को किया जाता है, तब जाकर भगवान भोलेनाथ की कृपा से कन्या को उसका मन वांछित वर मिलता है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे है कि सोलह सोमवार का व्रत कैसे करें और इस दौरान किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखें। तो चलिये जानते हैं सोलह सोमवार व्रत की संपूर्ण विधि।
सोलह सोमवार व्रत की विधि [16 Somvar Vrat Vidhi]
सबसे पहले तो आपको यह बता दें कि आमतौर पर व्रत कभी भी किया जा सकता है मगर सोलह सोमवार का व्रत श्रावण (सावन) में ही रखा जाता है और यह व्रत सूर्योदय से लेकर संध्याकाल तक किया जाता है। इसके बाद विधिवत शिव-पार्वती पूजन और सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए। जो सोलह सोमवार का व्रत रखना चाहते हैं वो सावन के पहले सोमवार से व्रत रखना शुरू करते हैं। मान्यता के अनुसार सावन माह में मंगलवार का दिन देवी पार्वती का दिन माना जाता है, ऐसे में कई भक्तगण सोमवार व्रत के साथ-साथ मंगलवार को देवी पार्वती की आराधना कर व्रत भी रखते हैं। इस व्रत को गौरी-मंगल व्रत के नाम से जाना जाता है।
जो भी कोई सोलह सोमवार का व्रत रखता है उसे सबसे पहले प्रातः सुबह स्नान, नित्य कर्म करने के बाद व्रत का संकल्प करना चाहिए। इतना कुछ कर लेने के पश्चात गंगाजल, बेलपत्र, सुपारी, पुष्प, धतूरा, भांग आदि से भगवान भोलेनाथ का पूजन करना चाहिए। साथ ही साथ भगवान शंकर की विधिपूर्वक पूजा करने के बाद व्रत कथा सुनना भी अनिवार्य माना गया है और साथ में शिव मंत्रों का जप भी करना चाहिए। बताया जाता है कि सावन मास के सोमवार व्रत करने से पूरे वर्ष के सभी सोमवार व्रतों का फल मिल जाता है।
इसके अलावा आपको यह भी बता दें कि व्रत का तीसरा प्रहर खत्म होने के बाद पूरे दिन भर में केवल एक ही बार भोजन करना चाहिए। रात्रि के समय अपने रोजाना के बिस्तर पर ना सोकर जमीन पर सोना चाहिए। इस तरह से सावन के प्रथम सोमवार से लेकर अंतिम सोमवार तक इस व्रत का पालन करना चाहिए। माना जाता है कि सिर्फ सावन का सोमवार ही नहीं, शिवजी से जुड़े सभी व्रत तीन प्रहर तक ही किए जाते हैं। इस विधि से सोलह सोमवार तक व्रत करें और सत्रहवें सोमवार को पांच सेर गेहूं के आटे की बाटी का चूरमा बनाकर भोग लगाकर बांट दें और परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें। ऐसा करने से भोलेनाथ सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे।
व्रत करने से होते हैं ये फायदे [16 Somvar Vrat ke Fayde]
आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि सोलह सोमवार व्रत करने से शिव-पार्वती की अनुकंपा सदा हमारे परिवार पर बनी रहती है और हमारा जीवन धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है। हालांकि, यह व्रत करने से सिर्फ भोलेनाथ और माता पार्वती का ही आशीर्वाद नहीं मिलता बल्कि इसके और भी कई फायदे होते हैं। जैसे सोमवार व्रत करने वाले को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और कुंवारी कन्यायों को मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती है। इसके अलावा दंपति को संतान सुख की प्राप्ति भी होती है। बताया जाता है कि यदि घर में अकारण ही पति-पत्नी के बीच क्लेश आदि होता रहता है तो इस व्रत को करने से इस समस्या का भी समाधान होता है। व्रत करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और जन्म कुंडली में अशुभ ग्रह की दशा चल रही है तो अशुभता में कमी हो जाती है।
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