धर्म

जानिये कैसे हुआ था केदारनाथ धाम का निर्माण व् केदारनाथ धाम का इतिहास

Kedarnath Temple History in Hindi: पुराणों के अनुसार शिव जी ने प्रकृति के कल्याण हेतु भारतवर्ष में 12 जगहों पर प्रकट हुए जिनमे से एक ज्योतिर्लिंग केदारनाथ कह लाया गया है, यह 4 धाम और 5 केदार में से एक है। केदारनाथ मंदिर(Kedarnath Temple) भारत के उत्तराखंड(Uttrakhand) राज्य के रुद्रप्रयाग(Rudraprayag) जिले में स्थित है। केदारनाथ मंदिर लगभग 6 फुट ऊंचे चबूतरे पर बना है। इस मंदिर को कटवां पत्थरों के विशाल शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया है। हिमालयन रेंज(Himalayan Range) में स्थित केदारनाथ धाम(Kedarnath Dham) के कपाट श्रद्धालुओं के लिए अप्रैल से नवंबर तक खुलते है। और बाद में सर्दियों में भारी बर्फ गिरने के कारन रास्ता बंद हो जाता है।

इस धाम के प्रति लोगो की श्रद्धा भाव और विश्वास के कारन यहाँ हर साल लाखो में श्रद्धालु आते है। केदारनाथ मंदिर तीनो तरफ से पहाड़ो से घिरा हुआ है। एक तरफ 22000 ft ऊँचा केदारनाथ पहाड़ है, दूसरी तरफ 21600 ft ऊँचा खर्च कुंड पर्वत और तीसरी तरफ है 22000 ft ऊंचा भरत कुंड।

3 पर्वत के साथ साथ 5 नदियों का संगम भी होता है।

यहां पर 5 नदिया जिनमे मन्दाकिनी, मधुगंगा, चिरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी इनमे शामिल है। इन नदियों में से कुछ नदियां काल्पनिक है। ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के पाप धूल जाते है।

Image Source – Northeasttoday

पंचकेदार केदारनाथ धाम की कथा (Kedarnath Temple History in Hindi):

महाभारत के युद्ध के बाद पाँचो पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे इस कारण वो लोग भगवान शिव का आशीर्वाद लेने काशी गए लेकिन भगवान शिव उनसे नाराज़ थे, शिव ने उनको दर्शन नहीं दिए। फिर पांडव वहा से हिमालय आ गए भगवान शिव उन्हें आशीर्वाद नहीं देना चाहते थे इसलिए वो केदार चले आये लेकिन पाँचो पांडव अपने निर्णये के सच्चे थे वे उनका आशीर्वाद लेने के लिए केदारनाथ आ गए। भगवान शिव उनको आशीर्वाद ना देने के लिए वहा से चले गए और बैल का रूप धारण कर लिया और बाकी पशुओ के साथ जा मिले। पांडवो को थोड़ा शक हुआ कि शिव जी इन पशुओ में ही है और तभी भीम ने अपना विशाल रूप धारण करके दोनों पहाड़ो पर अपने पैर फैला लिए। सब पशु पैरो के निचे से निकल गए लेकिन शिव जी वहा से जाने के लिए तैयार नहीं हुए तभी भीम अपने पुरे बल से बैल पर झपटे तभी बैल निचे जमीन में धसने लगा और भीम ने बैल की पीठ का भाग पकड़ लिया और तभी भगवान शिव पांडवो की भक्ति देख कर प्रसन्न हुए और उसी क्षण भगवान शिव ने पांडवो को आशीर्वाद दिया और उनके पाप को क्षमा किया। तभी से बैल की पीठ के आकार में पिंड रूप में पूजे जाते है।

केदारनाथ मंदिर के पास केदारेश्वर धाम है जिसका निर्माण पांडवो के वंशज जन्मेजय ने कराया था। 17वी सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर की स्थापना की।

Image Source – Wikimedia

ज्योतिर्लिंग का इतिहास(Kedarnath Jyotirlinga History in Hindi):

एक बार हिमालयन रेंज के पर्वत पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या कर रहे थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने प्रकट होकर उनको प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान दिया। केदारनाथ मंदिर केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक श्रृंग पर अवस्थित हैं।

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तो यह था केदारनाथ मंदिर का इतिहास(Kedarnath Temple History in Hindi), हम उम्मीद करते है आपको इतिहास जान कर मन में प्रसन्ता हुई होगी। केदारनाथ मंदिर के इतिहास की PDF download करने के लिए क्लिक करे

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