बद्रीनाथ मंदिर एक बहुत ही खूबसूरत और विशाल मंदिर है। यह उत्तराखंड के बद्रीनाथ शहर में स्थित है और यह मंदिर बद्रीनाथ शहर का मुख्यतया आकर्षण है। बद्रीनाथ मंदिर ऋषिकेश से 250 की मि दूर है। यह मंदिर विष्णु भगवन को समर्पित है, बद्रीनाथ मंदिर चारधाम तीर्थ स्थल में से एक है। एक मशहूर कहावत है की “जो जाऐ बद्री , वो ना आये ओदरी” इसका मतलब यह है की उस व्यक्ति को माता के गर्भ में नहीं जाना पड़ता। बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन करने वालो को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
Badrinath History in Hindi
प्राचीन शैली में बना भगवान विष्णु का यह मंदिर बेहद विशाल है इसकी ऊँचाई करीब 15 मीटर है।
बद्रीनाथ मंदिर का निर्माण:(Badrinath Temple History in Hindi)
1. 8 वी सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का निर्माण कराया था।
2. आदि गुरु शंकराचार्य के अनुसार बद्रीनाथ मंदिर का पुजारी दक्षिण भारत के केरला राज्य से होता है।
3. गढ़वाल के राजा ने सोलहवीं सदी में इस मूर्ति को उठवाकर बद्रीनाथ मंदिर में ले जाकर उसकी स्थापना करवाई थी।
बद्रीनाथ के अन्य धार्मिक स्थल:
1. तप्त कुंड – यह अलकनंदा के तट पर स्थित एक अद्भुत गर्म झरना है।
2. ब्रह्म कपाल – यह समतल चबूतरा है।
3. शेषनेत्र – यह शेषनाग की कथित छाप वाला एक शिलाखंड है।
4. चरणपादुका – यहां पर भगवान विष्णु के पैरों के निशान हैं।
5. नीलकंठ पर्वत – यह पर्वत बर्फ से ढका हुआ है जो की बद्रीनाथ से दिखता है।
बद्रीनाथ मंदिर की कुछ मान्यताये जो पुरे भारतवर्ष में मानी जाती है:
- जब भगवान शिव जी द्वारा गंगा नदी को धरती पर उतारा गया था, तो गंगा नदी 12 भागो में बट गयी थी।
2. यहां पर जो गंगा का भाग है वही अलकनंदा के नाम से प्रसिद्ध है।
3. इस जगह को पहले भगवान विष्णु ने अपना निवास स्थान बनाया था इसलिए इस स्थान को बाद में “बद्रीनाथ” से जाना गया।
4. पहले के समय में भगवान विष्णु के अंश नर और नारायण ने तपस्या की थी और अगले जन्म में जा कर नर ने अर्जुन और नारायण ने श्री कृष्ण का रूप लिया था।
बद्रीनाथ एक बहुत ही प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ स्थान है व यहां पर किस्मत वाले ही जा पाते है चार धाम की यात्रा जिसने की उसका जीवन धन्य हो गया।