OM Ka Rahasya: हिंदू धर्म में आध्यात्म और आस्था से ऊपर एक ध्वनि को स्थान दिया गया है और यह भी कहा गया है कि इस ध्वनि के उच्चारण मात्र से ही इंसान तनाव मुक्त होकर सीधे परमात्मा से जुड़ने की कोशिश करता है, वह ध्वनि है- ‘ओम।’ यही नहीं कहा जाता है कि पृथ्वी पर केवल एक ऐसी यही ध्वनि है, जिसे कोई भी शख्स ध्यान लगाकर अपने शरीर के भीतर ही सुन सकता है। ओम के उच्चारण मात्र से ही इंसान को शांति मिलती है, वह शायद कोई भी धाम या फिर तीर्थ यात्रा करके न मिल सके।
कहा जाता है कि यह ध्वनि अनाहत है, इसका मतलब ये है कि यह ध्वनि न किसी टकराव से पैदा हुई है और न ही किसी आहत से बल्कि यह ध्वनि स्वयंभू है, जो कि अपने आप प्रकट हुई है। ओम ध्वनि मिट्टी के एक कण से लेकर आसमान में हर जगह विद्यमान है। पूरे अंतरिक्ष में ओम ही मौजूद है।
इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि शिव पुराण में ऐसी मान्यता है कि नाद और बिंदु के मिलने से ही ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई है। नाद का मतलब है ध्वनि और बिंदु का मतलब है शुद्ध प्रकाश। यह ध्वनि आज भी सतत जारी है। ब्रह्मांड स्वयं ही प्रकाशित है और इसे परमेश्वर का प्रकाश यानी शुद्ध प्रकाश कहा जाता है, पूरे ब्रह्मांड में केवल कंपन, ध्वनि और प्रकाश ही उपस्थित है और इसी ऊर्जा की वजह से ही पृथ्वी पर जीवन है।
ओम शब्द की उत्पत्ति तीन ध्वनियों से हुई है, अ, उ और म। अ ब्रह्मा का वाचक है, उ विष्णु का वाचक है और म रुद्र का वाचक है। इसका मतलब है कि एक ध्वनि के उच्चारण से ही आप ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों को ही याद कर लेते हैं।
इसके अलावा ओम के उच्चारण से आपकी नाभि, हृदय और आज्ञा चक्र में जाग्रति उत्पन्न होती है। यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक है। यही नहीं कहा जाता है कि ओम के उच्चारण मात्र से ही आपको असीम सुख की प्राप्ति होती है, इसके अलावा कहा जाता है कि यह मोक्ष की ओर ले जाने का सबसे उत्तम साधन है। धर्मशास्त्रियों के मुताबिक मल मंत्र या जप तो मात्र ओम ही है, जबकि ओम के आगे या पीछे लिखे जाने वाले शब्द गोण कहलाते हैं।
ओम के उच्चारण को लेकर यह भी कहा जाता है कि अगर आप एकांत में बैठकर कुछ समय तक ओम का उच्चारण करते हैं और फिर इस उच्चारण को रोक देते हैं, तो भी यह आपके मन, मस्तिष्क और शरीर के भीतर इस ध्वनि का उच्चारण होता रहता है। इस ध्वनि को सुनने के लिए बस आपको एकाग्र होने की जरूरत है।
ओम ध्वनि को लेकर यह भी कहा जाता है कि इस ध्वनि में इतनी शक्ति है कि यह ब्रह्मांड के किसी भी गृह फोड़ने या इस संपूर्ण ब्रह्मांड को नष्ट करने की क्षमता रखता है। यह ध्वनि सूक्ष्म से भी सूक्ष्म और विराट से भी विराट होने की क्षमता रखती है।
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इन सबके अलावा ओम को लेकर एक सबसे बड़ी मान्यता ये है कि इस ध्वनि के उच्चारण मात्र से ही लोग अपने आराध्य भगवान शिव से सीधे जुड़ते हैं। यही नहीं शिव भक्तों को अपने भगवान को प्रसन्न करने के लिए ओम का उच्चारण करने की सलाह दी जाती है और भारत में मौजूद लगभग सभी शिवालयों में आपको 24 घंटे ओम का उच्चारण सुनाई देगा, जो आपको परम सुख देने वाला होता है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि ओम ही शिव तक पहुंचने का एक मार्ग या जरिया है।
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