Guwahati Tourism in Hindi: गुवाहटी उत्तर भारत बसा असम का सबसे बड़ा शहर, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। गुवाहटी की हरी घास से ढ़के मैदान और आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंचने वाले पहाड़ वहां का खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं और उसकी यही खूबसूरती लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। बता दें कि प्राचीन समय में गुवाहटी को ‘प्रागज्योतिस्वर’ के नाम से जाना जाता था। लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर गुवाहटी रख दिया गया। गुवाहटी दो शब्दों गुवा और हटी से मिलकर बना है, जिसमें गुवा का अर्थ है सुपारी और हाट का अर्थ है बाजार। बता दें कि गुवाहटी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ वहां पर स्थित प्राचीन मंदिरों के लिए भी जाना जाता है। यहां पर बसे मंदिरों के साथ कोई ना कोई दिलचस्प कहानी जुड़ी हुई है, जिस वजह से लोगों का यहां आने का तांता लगा रहता है। तो चलिए आज आपको बताते हैं गुवाहटी की उन जगहों के बारे में जहां पर जाकर आपको एक बार तो घूमना जरूर चाहिए। वहां की सुंदरता आपका भी मन मोह लेगी।
देवी मंदिर गुवाहटी के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है कामाख्या देवी का मंदिर। यहां पर माता के दर्शन के लिए भक्तगण बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। कामाख्या मंदिर असम की राजधानी दिसपुर के पास और गुवाहाटी से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में देवी सती की पूजा होती है और इस मंदिर के साथ भक्तों की कई तरह की मान्यताएं जुड़ी हुई है।
भगवान शिव का यह मंदिर ब्रह्मपुत्र के पीकाक टापू पर स्थित है। इस मंदिर में हर साल फरवरी के महीने में शिवरात्रि के मौके पर भक्तों का तांता लगता है। यह मंदिर अपनी वास्तुशिल्पीय विशेषता के लिए जाना जाता है। यहां पर मंदिर की दीवारों पर हुई नक्काशी लोगों का मन मोह लेती है।
गुवाहटी शहर के दक्षिण-पूर्वी छोर पर बेलटोला क्षेत्र में स्थित भगवान शिव का ये मंदिर संध्याचल पर्वत पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह प्राचीन कामरूप शैली में हैं। भक्तगण यहां पर दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं।
गुवाहटी में बसा यह मंदिर यहां पर घूमने जाने वाले पर्यटकों के लिए काफी आकर्षक होता है। यहां पर पर्यटक सबसे ज्यादा घूमने जाते हैं। सुक्रेस्वर मंदिर गुवाहटी के पान बाजार के पास ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित इटाखुली पहाड़ी पर बना है। यह मंदिर शिव पंथ को बढ़ावा देता है। इस मंदिर की खूबसूरती इसके पास से गुजरने वाली ब्रह्मपुत्र नदी बढ़ा देती है।
अगर आप घूमने के साथ इतिहास के और अलग-अलग संस्कृतियों को जानने के लिए उत्सुक रहते हैं तो आपकी म्यूजियम गुवाहाटी के बीचों-बीच दिघालीपुखुरी तालाब के दक्षिणी छोर पर स्थित असम स्टेट म्यूजियम अवश्य जाना चाहिए। यह म्यूजियम आपको असम की परंपरा और संस्कृति से रूबरू कराएगा।
ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर बने इस ब्रिज की खासियत यह है कि यह इस नदी के ऊपर बना पहला रेल सह सड़क पुल है। यह पुल ब्रह्मपुत्र नदी के दो किनारों को सरायघाट में जोड़ता है।
गुवाहटी में लगने वाली इस बाजार में आपको एक ही जगह पर कई सारी चीजें खरीदने को मिल जाएंगी। वहां पर रहने वाले लोगों के बीच यह मार्केट काफी ज्यादा फेमस है।
गुवाहटी में स्थित यह झील वहां की सुंदरता का एक उदाहरण मात्र है। प्राकृतिक सुंदरता के बीच घिरी यह झील देखते ही लोगों का मन मोह लेती है।
गुवाहटी से लगभग 50 किलोमीटर दूर मारीगांव जिले में स्थित यह वन्यजीव अभ्यारण मुख्य रूप से यहां पर पाए जाने वाले एक सींग वाले गेंडे के लिए जाना जाता है। यह अभ्यारण करीब 30.8 वर्ग किमो में फैला हुआ है। इस अभ्यारण में गेंडे के अलावा कई प्रवासी पक्षी भी रहते हैं। यहां पर हर साल करीब 2000 प्रवासी पक्षी आते हैं। इसी के साथ यहां पर एशियाई भैंस, तेंदुआ, जंगली बिल्ली और जंगली भालू सहित कई अन्य जीव भी देखे जा सकते हैं। अक्टूबर से अप्रैल के बीच इस अभ्यारण को घूमना सबसे अच्छा रहता है।
बता दें कि इसके अलावा भी यहां पर घूमने के लिए कई ऐसे स्थान पर जहां पर आप जाकर प्राकृतिक सुंदरता के साथ इतिहास से भी परिचित होंगे। बताते चलें कि ऊपर बताई गई जगहों के अलावा गुवाहटी में घूमने के लिए गुवाहटी वॉर मेमोरिएल, भोगेश्वरी फुकना इंडोर स्टेडियम, नेहरू स्टेडियम, नेपाली मंदिर, जूलॉजिकल बगीचा, फूड विला, वशिस्थ आश्रम, गुवाहटी प्लैनेटेरियम, श्रीमान्ता संकरादेवा कलाक्षेत्र, फेरी घाट, अल्फ्रेस्को ग्रैंड डिनर क्रूज, नेहरू पार्क और सरायघाट पार्क जैसी जगह हैं, जहां पर आप घूम कर गुवाहटी की सुंदरता का आनंद उठा सकते हैं।
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