Lockdown India: कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकार ने देश भर में लॉकडाउन तो लगा दिया लेकिन इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था और आम लोगों के जीवन पर पड़ रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण अभी कुछ दिनों पहले ही देखने को मिला जब एक ज्वेलरी की दुकान चलाने वाले को मजबूरी में सब्जी बेचना पड़ रहा है। अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ता। आइये आपको रूबरू करवाते हैं इस व्यक्ति से जिसके लिए लॉकडाउन का यह समय काफी मुश्किल भरा है।
आपको बता दें कि, लॉकडाउन का ये समय कुछ परिवारों के लिए बेहद मुश्किल भरा गुजर रहा है। उन्हीं में से एक हैं जयपुर के हुकुमचंद सोनी, जयपुर में उनकी अपनी गहनों की दुकान है। लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि, देश भर में सब कुछ बंद होने की वजह से गहनों की बिक्री नहीं हो पा रही। इस वजह से हुकुमचंद को व्यापार में काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालात ऐसे हैं कि, उन्हें अपना घर चलाना भी महंगा पड़ने लगा। बहरहाल, परिवार को इस मुश्किल घड़ी से निकालने के लिए हुकुमचंद को मजबूरी में अब सब्जी बेचना पड़ रहा है। आपको बता दें कि, पिछले 25 साल से हुकुमचंद जयपुर के रामनगर में अपने गहनों की दुकान चला रहे थे। लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि, जिन दुकानों में कभी गहने हुआ करते थे आज वह सब्जियों से भरा है। एक न्यूज़ एजेंसी को दिए अपने इंटरव्यू में हुकुमचंद ने बताया कि, उनकी गहने की दुकान भले ही बहुत बड़ी नहीं थी लेकिन इससे उनका परिवार चल जाता है। अब इसके बंद पड़ जाने के बाद उनके सब्जी बेचने के अलावा और दूसरा कोई रास्ता नहीं है।
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जयपुर के इस ज्वेलरी वाले की कहानी आज लगभग भारत के हर उस घर की कहानी है, जिन्हें लॉकडाउन की वजह से रोजगार नहीं मिल रहा है। हालाँकि ऐसी स्थिति में भी अपना परिवार चलाने के लिए ऐसा कदम उठना बेहद सराहनीय है। इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए हुकुमचंद का कहना है कि, जयपुर में उनकी छोटी सी गहनों की दुकान है। जयपुर घूमने आने वाले टूरिस्ट विशेष रूप से उनकी दुकान से गहने जरूर खरीदते थे। इससे उन्हें अच्छा ख़ासा मुनाफ़ा हो जाता था, गहने बेचने के साथ ही साथ हुकुमचंद गहनों की मरम्मत करते थे। लेकिन कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन ने उनके धंधे को पूरी तरह से ठप्प कर दिया है। लिहाजा उनके पास अपना घर चलाने के लिए सब्जी बेचने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। हुकुमचंद कहते हैं कि, इन दिनों बहुत से ऐसे दुकानदार हैं जिन्हें व्यापार में बेहद नुकसान हो रहा है। लेकिन घर बैठने से अच्छा है कि, कोई काम किया जाए। बस इसी सोच के साथ उन्होनें अपने गहने की दुकान को सब्जी की दुकान में तब्दील कर दिया। हुकुमचंद जैसे अपने परिवार को अकेले चलाने वाले बहुत से लोग हैं जिन्हें इस समय मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
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