Gadhiya Ghat Mata Temple History In Hindi: भारत में धर्म का विशेष महत्व है। जब धर्म से जुड़े चमत्कार सामने आते हैं तो लोगों की श्रद्धा भगवान के प्रति कहीं ज्यादा और बढ़ जाती है। भारत में एक देवी मां का ऐसा ही मंदिर है, जहां कुछ इसी तरह का चमत्कार देखने को मिल रहा है। इस वजह से देवी मां के प्रति लोगों की श्रद्धा और अटूट होती जा रही है। दरअसल, इस मंदिर में यह चमत्कार देखने को मिल रहा है कि यहां दीपक जलाने के लिए तेल और घी की जरूरत नहीं पड़ती है। जी हां, यह जानकर आपको हैरानी जरूर हो रही होगी, लेकिन यही सच है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में यह मंदिर बना हुआ है। इसे गाड़िया घाट वाली माता जी (Gadiyaghat Mata Mandir) के चमत्कारी मंदिर (Chamatkari Mandir) के नाम से लोग जानते हैं। कालीसिंध नदी (Kali Sindh River) के किनारे यह मंदिर निर्मित है। गाड़िया गांव जो कि आगर मालवा के नलखेड़ा से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, इसी के समीप यह मंदिर बना हुआ है।
यह मंदिर अपने महा ज्योत की वजह से लोकप्रिय हो रहा है। मंदिर के बारे में ऐसी खबरें सामने आती रही हैं कि पिछले 5 वर्षों से यहां एक महा ज्योत जल रही है जो कि चर्चा का विषय बन गई है। वैसे, तो भारत में बहुत से ऐसे मंदिर हैं, जहां वर्षों से महा ज्योत लगातार जलती आ रही है, लेकिन इस मंदिर में जो महा ज्योत जल रही है, वह इन सभी से बिल्कुल अलग है और बेहद अनूठी भी है।
इस मंदिर में जो दीपक यानी की महा ज्योत जल रही है, उसके बारे में यहां के पुजारी के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि दीपक को जलाने के लिए तेल, घी, मोम या फिर किसी अन्य प्रकार के ईंधन की आवश्यकता नहीं पड़ती है, मगर इस दीपक की खासियत यह है कि यह पानी से जल रहा है। जी हां, पानी जो कि आग का दुश्मन है, उसी पानी से यहां दीपक पिछले 5 वर्षों से जलता आ रहा है। इस पुजारी ने यह भी बताया है कि 5 साल पहले तक तो यहां भी दीपक तेल और घी आदि से ही जलाए जाते थे, लेकिन माता एक दिन अचानक उनके सपने में आ गईं। उन्होंने सपने में उनसे कहा कि दीपक को तेल या घी से जलाने की बजाय वे पानी से जलाएं। अगले दिन पुजारी के मुताबिक उन्होंने पानी से दीपक जलाया और दीपक जल भी गया। तभी से लगातार यहां दीपक पानी से ही जलाया जा रहा है।
पुजारी के अनुसार उन्होंने मंदिर के बगल में बह रही कालीसिंध नदी (Kali Sindh River) से पानी निकाला था। इसी पानी में उन्होंने रूई की बाती डुबोई थी और इसमें बाती जलाई थी। पानी में होने के बावजूद दीपक जल गया था। इसके बाद पुजारी बहुत ही भयभीत हो गए थे। पुजारी के मुताबिक वे इतना अधिक डर गए थे कि उन्होंने करीब दो महीने तक इस बारे में किसी को कुछ भी नहीं बताया था।
थोड़ा समय बीत जाने के बाद आखिरकार पुजारी ने गांव वालों के सामने इस बात को रखा। गांव वालों को पुजारी की बातों पर यकीन ही नहीं हो रहा था। उन्होंने फिर पानी में रुई डालकर दीपक को जलाया तो दीपक जल गया। अपनी आंखों के सामने पानी से दीपक को जलता हुआ देखकर गांव वाले भी एकदम हैरान रह गए। उनकी आंखें खुलीं-की-खुलीं रह गईं। इसके बाद जब आसपास के गांव वालों को भी इसके बारे में जानकारी होनी शुरू हुई तो यहां पर्यटक बड़ी संख्या में इस चमत्कार को देखने के लिए इकट्ठा होने लगे।
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वैसे, इस चमत्कारी मंदिर(Chamatkari Mandir) के बारे में बताया जाता है कि पानी से दीपक यहां बरसात के मौसम में नहीं जलता है। इस मौसम में कालीसिंध नदी (Kali Sindh River) का जलस्तर बहुत बढ़ जाता है। इसकी वजह से मंदिर में पूजा कर पाना भी मुमकिन नहीं होता। मंदिर में फिर शारदीय नवरात्र के पहले दिन यानी कि पड़वा के दिन से पानी से दीपक को जलाया जाता है और उसके बाद यह अगले वर्ष तक जलता रहता है। बताया जाता है कि जब दीपक में पानी डाला जाता है और इसे जलाया जाता है तो यह पानी एक तरह के चिपचिपे पदार्थ में बदल जाता है। इसके बाद दीपक लगातार जलता ही रहता है। इस अनोखे चमत्कार को देखने के लिए देश और दुनियाभर से लोग यहां पहुंचते रहते हैं।
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