Gender Discrimination in Indian Society: कहते हैं परिवार ही प्रथम पाठशाला होती है। घर में बच्चा जो कुछ भी सीखता है सबसे पहले अपने मां-बाप से ही सीखता है। उसे जिस भी तरह की समझ आती है वह घर के सदस्यों के बर्ताव से ही आती है। आज से कुछ समय पहले तक हमारे देश के कई सारे हिस्सों में कुछ इस तरह की स्थिति थी कि जिसके घर में बेटा पैदा होता था तो बहुत जश्न मनाया जाता था मगर जिस घर में बेटी पैदा हुई तो वहां पर मातम की स्थिति बनी रहती थी। हालांकि, हालात अब काफी हद तक बदल रहे हैं और शायद ही ऐसे लोग बचे होंगे जो ये कहने में संकोच करते होंगे कि हमारी बेटी ही हमारा गौरव है। बता दें कि अब बेटी-बेटा वाला वह वर्षों पुराना भेदभाव खत्म हो चला है।
मगर एक सवाल आज भी उठता है कि अगर आपने बेटी के जन्म पर घर में खुशियां मना भी ली तो क्या आगे उसे उसका पूरा हक भी दिला पाएंगे? उसे बेटे जैसी बराबरी देंगे? यह वाकई में बहुत ही ज्यादा विचार करने योग्य सवाल है। हम सभी इस बात से बेहतर वाकिफ हैं कि हमारा समाज एक पुरुष प्रधान समाज है। आज की तारीख में भले ही महिला पुरुष के कंधे से कंधा मिला कर चल रही है मगर उसके बाद भी महिलाओं के साथ कई प्रकार का भेदभाव किया जाता हैं। इसी वजह से उन्हें उनका पूरा हक नहीं मिल पाता है। वैसे यह कहना भी गलत नहीं होगा कि इस तरह की सोच की उपज हमें कहीं और से नहीं बल्कि हमारे समाज से ही मिलती है। ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हम जो कुछ भी सीखते हैं सबसे पहले वह अपने घर से ही सीखते हैं।
आज की तारीख में हर तरफ बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया तो जरूर जा रहा है मगर फिर भी ये सभी प्रयास कहीं ना कहीं कम से लग रहे हैं। बताना चाहेंगे कि इस पुरुष प्रधान समाज में अगर महिलाओं के लिए सुधार लाना चाहते हैं तो सबसे पहले इसकी शुरुआत हम सभी को स्वयं के घर से करनी होगी। अगर आपके घर में बेटा है तो उसे अच्छे संस्कार और बेहतर परवरिश देना सबसे अहम होना चाहिए और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण होना चाहिए किसी भी लड़की या महिला की इज्जत करना, उसका सम्मान करना तथा मदद करना।
भूल से भी घर में मौजूद लड़कों के मन में लड़का-लड़की वाले भेदभाव आदि जैसी बातें नहीं डालनी चाहिए। सामान्य सी बात है ये सभी बातें आपका बच्चा बताने से ही नहीं बल्कि घर में माता-पिता के व्यवहार से भी सीखता है। क्योंकि बच्चा घर में जिस तरह का माहौल देखता है ठीक उसी तरह का व्यवहार वह बाहर जाकर भी करता है। ऐसे में यह बेहतर होगा कि माता-पिता एक दूसरे के साथ हमेशा सम्मान के साथ पेश आयें विशेषरूप से अपने बच्चों के सामने। घर में मौजूद पुरुष यदि घर की महिलाओं से सम्मानित तरह से व्यवहार करते हैं तो घर का बच्चा भी उनका ही अनुसरण करेगा। वहीं दूसरी तरफ अगर इसका उल्टा होता है तो बच्चा भी वैसा ही करेगा।
यह बहुत ही आवश्यक हो जाता है कि आप अपने बच्चे को सही और गलत की जानकारी किस तरह से देते हैं। बच्चे की परवरिश पूरी तरह से माता-पिता के व्यवहार और उनकी आदतों पर निर्भर करता है। उसके खाने से लेकर पहनने तक और और बाहर स्कूल में किसके साथ कैसा बर्ताव करना है इसके बारे में भी पूरी जानकारी देना उनका फर्ज बनता है। घर के काम में मिलकर हाथ बंटाना, एक दूसरे की मदद के लिए तत्पर रहना, कभी गलत नहीं करना और ना ही गलत का साथ देना, ये सभी बातें उसे सबसे पहले घर से ही सीखने को मिलती हैं। लड़कों को हमेशा अपने घर में मौजूद बहन, अपनी माता, अपने दोस्तों आदि का सम्मान करना चाहिए। ऐसे में यदि मां-बाप आने वाली जनरेशन के लड़कों को अच्छे संस्कार देते हैं तो निश्चित रूप से उनका भविष्य महिलाओं के लिए ज्यादा सुरक्षित होगा।
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