Julius Maggi: मैगी एक ऐसा फ़ूड आइटम है जिसे बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी खाना बेहद पसंद करते हैं। हॉस्टल्स और घर परिवार से दूर रहने वालों के लिए तो मानो यही जीने का सहारा है। सब लोग इसे इसलिए भी इतना पसंद करते हैं क्योंकि ये झटपट बन भी जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि, 2 मिनट में बनने वाला आपका ये पसंदीदा नूडल आखिर मैगी क्यों कहलाता है। आज हम आपको इसी दिलचस्प फैक्ट के बारे में बताने जा रहे हैं। आईये जानते हैं आखिर कैसे मैगी का नाम पड़ा मैगी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, मैगी बनाने का आइडिया पहली बार स्विट्ज़रलैंड के रहने वाले जूलियस माइकल जोहांस मैगी को आया था। वो हमेशा से ही पैकेट बंद फ़ूड मार्केट में कुछ ऐसा लाना चाहते थे जिसे बनना भी आसान हो और स्वाद में भी जबरदस्त हो। 1860 में जूलियस ने अपने एक दोस्त डॉक्टर के साथ मिलकर रेडी तो इट फ़ूड आइटम्स बनाने में जुट गए। बता दें कि, शुरूआती दिनों में उनके द्वारा बनाए गए पैकेट बंद फ़ूड आइटम को लोगों ने इतना पसंद नहीं किया। इसके वाबजूद भी उन्होनें हार नहीं मानी और अब बारी थी मैगी की। उन्होनें सबसे पहले एक आटा तैयार किया तो विभिन्न दालों का मिश्रण था। इसके बाद उससे नूडल्स बनाए और उसमें सब्जियों को भी ऐड किया। इन सभी चीजों को मिलकर उन्होनें पैकेट बंद सूप तैयार किया। जब इसे नाम देने की बात आई तो जूलियस ने इसे अपना आखिरी नाम मैगी दिया। उनके इस प्रोडक्ट को स्विट्ज़रलैंड में लोगों ने खूब पसंद किया।
अपने पहले पैकेट बंद नूडल्स सूप की सफलता के बाद जूलियस ने मार्केट में मैगी ब्रांड के नाम से कई प्रकार के सूप के पैकेट उतारे। आपको बता दें कि, जूलियस की इस सफलता का बड़ा श्रेय स्विट्ज़रलैंड की सरकार को भी जाता है। चूँकि जूलियस ने ये सभी आइटम मिडिल क्लास को ध्यान में रखते हुए बनाया था, लिहाजा स्विट्ज़रलैंड की सरकार का भी उन्हें खूब सपोर्ट मिला। स्विट्ज़रलैंड में मैगी मशहूर होने के बाद इसे अमेरिका, पेरिस, बर्लिन और लंदन जैसे बड़े शहरों ने भी खरीद कर बेचना शुरू कर दिया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, भारत में मैगी को पहली बार 1983 में लाया गया। हालाँकि नेस्ले कंपनी ने इसे 1947 में ही खरीद लिया था लेकिन मार्केट तक आने में इसे काफी वक़्त लगा। भारतीय बाजार में आते ही मैगी छा गई, लोगों को इसके स्वाद के साथ ही 2 मिनट में इसका बनकर तैयार हो जाना काफी भाया। बीच में कुछ कारणों से मैगी के उत्पादन पर रोक बह लगा दी गई थी लेकिन अब एक बार फिर से इसकी पहुंच चरम पर है। हर घर में आपको मैगी का एक पैकेट तो जरूर मिल जाएगा।
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