Avinash Sable smashes 30-year-old 5000m national record in US: भारत का नाम दुनियाभर में काफी प्रचलित है, वजह अलग-अलग हैं. मगर हम यहां जिसकी बात कर वो हैं भारतीय जवान जिन्होंने 30 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है. भारत के अविनाश साबले ने 5000 मीटर में 30 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है जो बहादुर प्रसाद के नाम था. महाराष्ट्र के रहने वाले 27 वर्षीय अविनाश ने अमेरिका के सैन जुआन कपिस्ट्रानो में साउंड रनिंग ट्रैक मीट में नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया है. चलिए आपको अविनाश की इस बड़ी जीत से जुड़ी सभी जानकारी विस्तार से देते हैं.
भारतीय सैनिक अविनाश ने बनाया रिकॉर्ड(Avinash Sable smashes 30-year-old 5000m national record in US)
साल 1992 में बर्मिंघम मे 13:29:70 के समय में नेशनल रिकॉर्ड बनाया था जिसे 30 सालों के बाद अविनाश ने तोड़ते हुए 13:25:65 के समय में पूरा किया और नया रिकॉर्ड बन गय. अविनाश साबले ने इस मुकाबले में 12वां स्थान बनाया. टोक्यो ओलंपिक में 1500 मीटर का गोल्ड नार्वे के जैकब इंगेब्रिग्त्सेन ने जीता जिन्होंने 13:02:03 पर रेस पूरी की. इस समय अविनाश इंटरनेशनल इवेंट की तैयारियों के के लिए अमेरिका में हैं. अगर अविनाश साबले की बात करें तो वे भारतीय सेना में सैनिक हैं और महाराष्ट्र के बीड में उनका परिवार रहता है. अविनाश ने अपने नाम नेशनल अवॉर्ड किया है जो उन्हें 3 हजार मीटर स्टीपलेज पर मिला है. उन्होंने कई बार 3 हजार मीटर स्टीपलेज के नेशनल रिकॉर्ड भी तोड़े हैं और तिरुवनंतपुरम में इंडियन ग्रां प्री-2 में 8:16:21 के समय में भी नेशनल रिकॉर्ड बनाया है. अविनाश ने अमेरकिका के यूजीन में 15 से 24 जुलाई को होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए तैयारियां की हैं क्योंकि उसमें वे क्वालिफाई हुए हैं.
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आर्मी में नौकरी के बाद ली ट्रेनिंग
अगर साबले के बैकग्राउंड की बात करें तो वे एक किसान परिवार से बिलॉन्ग करते हैं और 6 किमी दूर स्कूल पढ़ने जाते थे. 6 साल की उम्र से वे स्कूल पैदल जाते थे और हर जगह पैदल आते-जाते थे इससे उनकी चलने और दौड़ने की रफ्तार बन गई. 12वीं पास करने के बाद उनकी भारतीय सेना में नौकरी लग गई. 2013-14 में सियाचीन ग्लेशियर पर उनकी पोस्टिंग रही और 2014 के बाद कुछ महीने राजस्थान के रेगिस्तान में पोस्टिंग हुई और साल 2015 में सिक्किम में तैनात थे. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अविनाश ने इंटर आर्मी क्रास कंट्री रनिंग में पहले पार्टिसिपेट किया और उनके साथियों ने उनका हुनर देखा. इसे बाद स्टीपलचेज में ट्रेनिंग ली. उनकी मेहनत के कारण उन्हें विदेशी कोच ने तराशा और आज वे जिस मुकाम पर हैं ये किसी से छिपा नहीं है.