Sanchi Stupa Temple History In Hindi: साँची स्तूप, देश के ह्रदय कहे जाने वाले मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 46 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व की दिशा में स्थित है जो कि रायसेन जिले के साँची शहर में बेतवा नदी के किनारे स्थित है। यह स्थल अपनी आकर्षक स्थापत्य कला के लिए पूरे विश्व में मशहूर है। यूनेस्को द्वारा 15 अक्टूबर 1982 को इसे विश्व धरोहर में शामिल किया गया था। साँची स्तूप को मौर्य शासक सम्राट अशोक के शासनकाल में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में स्थापित किया गया था। इस स्थान पर भगवान बुद्ध के अवशेषों को रखा गया है। साँची स्तूप में मौजूद मूर्तियों और स्मारकों में आपको बौद्ध कला और वास्तुकला की अच्छी झलक देखने को मिलेगी। अगर आप भी साँची स्तूप को देखने का विचार बना रहे हैं लेकिन आपको इससे जुड़ी हुई कोई ठोस जानकारी नहीं है तो यह लेख आपके लिए ही है। आज के इस लेख में हम आपको साँची स्तूप से जुड़ी हुई हर एक छोटी बड़ी जानकारी आपके साथ साझा करेंगे।
साँची स्तूप का इतिहास(Sanchi Stupa Temple History In Hindi)
साँची स्तूप को स्तूप संख्या एक के नाम से भी जाना जाता है। साँची में मंदिर, स्तूप और स्मारकों की स्थापना का कार्य मौर्य शासक सम्राट अशोक के शासनकाल में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में शुरू किया गया था और इसका निर्माण कार्य 12 वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक चला था। देश का प्रतीक चिन्ह अशोक चिन्ह भी इसी समय बनाया गया था।
साँची स्तूप संरचना
साँची स्तूप का नाभिक गोलार्द्ध ईंट की संरचना के रूप में भगवान बुद्ध के अवशेषों के ऊपर बनाया गया है। जिसके आधार पर ऊपर की ओर उभरी हुई छत, शिखर पर एक रेलिंग और पत्थर की छतरी होने से इसकी संरचना छत्र की तरह नजर आती है जो कि उच्च कोटि की संरचना नजर आती है। इस खूबसूरत इमारत का निर्माण करने के लिए सभी कारीगरों को पडोसी शहर विदिशा से बुलाया गया था। ऐसा माना जाता है कि साँची का मनमोहक वातावरण सम्राट अशोक को खूब भाता था जिसकी वजह से उन्होंने यहाँ पर साँची स्तूप का निर्माण कराया।
- हवन के दौरान रखें इन चीज़ों का विशेष ध्यान, नहीं तो देवता हो जाएंगे नाराज़।
- क्या सच में रावण ने लिया था द्वापर युग में जन्म, जानिए रावण के पुनर्जन्म के बारे में।
साँची स्तूप बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण केंद्र
बौद्ध धर्मों के स्मारकों और अवशेषों को खंगालने के बाद पता कि यह एक प्राचीन बौद्ध स्मारक है। साँची स्तूप भारत में बौद्ध धर्म की पूरी श्रृंखला को कवर करने और बौद्ध भिच्छुऒं के विभिन्न कलात्मक कार्यों के अद्भुत प्रदर्शन को दिखाता है।
तो यह थी साँची स्तूप के गौरवमयी इतिहास की जानकारी।