कुल्हड़ की चाय(Kulhad Chai) पीने में जितनी स्वादिष्ट लगती है, उतनी ही सेहत के लिए फायदेमंद भी होती है। ग्रामीण और छोटे शहरों में आज भी लोग कुल्हड़ में चाय पीना पंसद करते हैं। कुल्हड़ में चाय पीने से ना सिर्फ इसका स्वाद बढ़ जाता है बल्कि कई गंभीर समस्याओं से छुटकारा भी मिल जाता है।
चाय के शौकीन आपको हर घर में मिल जाएंगे। आमतौर पर लोग हर सुबह नाश्ते में चाय पीते ही पीते हैं। कुछ लोगों की तो दिन की शुरुआत ही सुबह की चाय से होती है। देखा जाए तो सुबह-सुबह चाय पीने का मजा ही अलग है। इससे पूरा दिन काम करने की चुस्ती आ जाती है। ज़्यादातर लोग चाय कप या फिर गिलास में पीना पसंद करते हैं या अगर आप कहीं किसी रेस्त्रां या ढ़ाबे पर चाय पीएंगे तो यह ज्यादातर आपको डिस्पोजल ग्लास में ही मिलेगी। लेकिन पहले के समय में लोग चाय कुल्हड़(Kulhad Chai) में पीते थे।
गरमा गरम चाय को जब मिट्टी के कुल्हड़(Kulhad Chai) में डाला जाता है तो उससे आने वाली मिट्टी की भीनी-भीनी सौंधी सी खुशबू चाय के स्वाद को जैसे दोगुना कर देती है और आप उसके स्वाद में खो जाते हैं। लेकिन शायद ही आप यह जानते होंगे कि कुल्हड़ की चाय स्वाद में जितनी अच्छी लगती है सेहत के लिए भी उतनी ही लाजवाब होती है। जी हाँ! कुल्हड़ में चाय पीने से आपको कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल सकता है।
गांव और छोटे कस्बों व शहरों में आज भी मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते है। इसलिए जब भी आप कहीं बाहर चाय पिये तो जितना हो सके कांच या प्लास्टिक के डिस्पोजल ग्लास में चाय पीने से बचें और मिट्टी के कुल्हड़ में ही चाय पिएं, क्योंकि ज्यादातर दुकानों पर चाय बेचने के लिए जिन काँच के ग्लासों का इस्तेमाल किया जाता है, उन्हें ढंग से धुला नहीं जाता, जिसकी वजह से इन्फेक्शन हो सकता है और फूड पोइजनिंग होने की भी संभावना बनी रहती है। कोविड-19 के इस दौर में तो काँच के ग्लासों का कतई इस्तेमाल ना करें वरना लेने के देने पड़ सकते हैं।
इसके अलावा यदि डिस्पोजल कि बात करें तो ज्यादातर डिस्पोजल गिलास पॉली-स्टीरीन से बने होते हैं और इनमें गर्म चाय डालने से इसके कुछ तत्व चाय में मिल जाते हैं जो हमारे शरीर के अंदर जाकर इसे नुकसान पहुंचाते हैं। इससे पेट से जुड़ी कई गंभीर बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है और आंतों को भी नुकसान पहुंचता है।
मिट्टी के कुल्हड़ की खास बात यह है की इसमें चाय पीने के बाद इसका दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता है, जिसकी वजह से हम किसी भी तरह के बैक्टीरिया के संपर्क में आने से बच जाते हैं।
कहा जाता है कि मिट्टी के बर्तनों में क्षारीय स्वभाव पाया जाता है, जो हमारे शरीर में एसिडिक स्वभाव को कम करने में मदद करता है। मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल करने से हमारे शरीर में कैल्शियम की कमी नहीं होती और हमारी हड्डियों भी मजबूत बनी रहती हैं।
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डिस्पोजल ग्लास हमारे पाचन तंत्र पर बुरा प्रभाव डालते हैं और ये प्लास्टिक के बने होने के कारण पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक होते हैं। वहीं कुल्हड़ इको फ्रेंडली होते हैं और एक बार इस्तेमाल के बाद फिर से मिट्टी में ही परिवर्तित हो जाते हैं।
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