Maa Bamleshwari Temple Dongragarh In Hindi: भारत में हजारों की संख्या में धार्मिक स्थल हैं और भारत का लगभग हर प्रांत किसी ना किसी खास धार्मिक स्थल के लिए जाना जाता है। इस खास धार्मिक स्थल का एक अनोखा इतिहास होता है और साथ ही इससे अनेक प्रकार की मान्यताएं, श्रद्धा और विश्वास भी जुड़े होते हैं। ऐसे ही एक खास धार्मिक स्थल के बारे में हम आज आपको बताने जा रहे हैं, जो करीब दो हजार साल पुराना है।
यह धार्मिक स्थल है छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़(Dongargarh Chhattisgarh) में स्थित मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर। ऐसा माना जाता है कि कोई भी भक्त माँ के दरबार से खाली हाथ नहीं लौटता और केवल माँ के दर्शन मात्र से ही सभी भक्तों की मुराद पूरी हो जाती है। आइए जानते हैं माँ बम्लेश्वरी मंदिर के इतिहास और इससे जुड़ी कुछ खास मान्यताओं के बारे में।
माँ बम्लेश्वरी मंदिर का इतिहास(Maa Bamleshwari Temple Dongragarh History In Hindi)
ऐसा कहा जाता है कि मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर का निर्माण लगभग दो हज़ार साल पहले उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने करवाया था। हालांकि, इस बात में कितनी सच्चाई है यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ में राजनंदगांव जिले के डोंगरगढ़ में लगभग एक हज़ार से भी अधिक फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
माँ बम्लेश्वरी मंदिर से जुड़ी प्राचीन कथाएं
मां बम्लेश्वरी मंदिर को लेकर कई प्राचीन कथाएं मशहूर हैं, जिनमें से एक प्रमुख है। इस कथा के अनुसार प्राचीन समय के एक राजा वीरसेन काफी समय से संतानहीन थे। अनेक प्रयासों के बावजूद उन्हें संतान प्राप्ति ना हो सकी। ऐसे में राजा के पुजारियों ने सुझाव दिया कि वे मां बम्लेश्वरी देवी की पूजा करें। राजा ने भी पुजारियों की बात मान कर दिन-रात माँ बम्लेश्वरी देवी की पूजा की, जिसके बाद लगभग एक वर्ष में ही उनकी मनोकामना पूरी हुई और रानी ने एक खूबसूरत संतान को जन्म दिया।
माँ बम्लेश्वरी के इस चमत्कार के बाद लोगों में इस मंदिर को लेकर आस्था बढ़ने लगी और तभी से ऐसा माना जाता है कि यहाँ आने वाले हर भक्त की मुराद माता जरूर पूरा करती हैं।
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आसान नहीं माता के दर्शन
मालूम हो कि माँ बम्लेश्वरी देवी के दर्शन करना इतना भी आसान नहीं है, क्योंकि इसके लिए आपको एक हज़ार से भी ज्यादा सीढ़िया चढ़नी पड़ेंगी। गौरतलबा है कि राम नवमी और दशहरे के समय माँ बम्लेश्वरी के दरबार में लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। नवरात्र के दिनों में यहाँ शानदार मेले का आयोजन किया जाता है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं।
मंदिर जाने का शुभ समय और आसपास घूमने की जगह
वैसे तो भक्तों के लिए यह मंदिर सदैव ही खुला रहता है, फिर भी नवरात्र का समय यहाँ जाने के लिए सबसे शुभ माना जाता है। मंदिर के आसपास घूमने के लिए कई ऐसी जगह हैं जहां जाकर आप अपना बाकी का समय भी अच्छा व्यतीत कर सकते हैं। मैत्री बाग, सिविक सेंटर और तांदुला ऐसी ही कुछ बेहतरीन जगह हैं जो मंदिर से बेहद नजदीक हैं। माँ बम्लेश्वरी मंदिर(Maa Bamleshwari Temple Dongragarh In Hindi) जाने के लिए आप सड़क, रेल या हवाई किसी भी मार्ग का चयन कर सकते हैं।