Neem Karoli Baba Mandir History In Hindi: बाबा नीम करोली धाम, एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही हमारे मन में एक अजीब सी शांति आ जाती है और हम सब अक्सर ही विभिन्न प्रकार के माध्यमों से इस पावन धाम के चमत्कार की कहानियां सुनते रहते हैं। इस पावन धाम में पिछले कई सालों से हनुमान चालीसा का अखंड पाठ चलता आ रहा है और यहाँ आने वाले हर एक भक्त को मालपुए का प्रसाद दिया जाता है। आज के इस लेख में हम आपको कैंची स्थित बाबा नीम करोली धाम के इतिहास के बारे में विस्तार से बताएंगे।
कौन हैं बाबा नीम करोली(Neem Karoli Baba Kon Hai)
नीम करोली बाबा का नाम सुनते ही उनके भक्त एक अलग ही दुनिया में चले जाते हैं। बाबा नीम करोली का जन्म सन 1900 में उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गाँव में हुआ था। बाबा एक हिन्दू गुरु थे और वो भगवान हनुमान के अनन्य भक्त थे। बाबा नीम करोली का शुरूआती नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था और इनका ताल्लुक एक समृद्ध ब्राम्हण परिवार से था।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इनके माता पिता ने इनका विवाह महज 11 वर्ष की आयु में ही कर दिया था। लेकिन साधु बनने की चाह में इन्होने अपना घर-बार सबकुछ त्याग दिया, लेकिन इनके पिता इनके इस फैसले के विरोध में थे। उन्होंने इसपर आपत्ति जताते हुए बाबा नीम करोली को दोबारा गृहस्थ जीवन शुरू करने के लिए आदेश दिया। बाबा ने पिता के आदेश का पालन करते हुए प्रभु की भक्ति में रहकर ही अपने गृहस्थ जीवन की शुरुआत की।
बाबा ने खुद किया था समाधि स्थल का चयन(Neem Karoli Baba Mandir History In Hindi)
जब बाबा को लगा कि अब उन्हें यह शरीर छोड़ देना चाहिए, तो उन्होंने अपने भक्तों को इस बात का संकेत दे दिया। इतना ही नहीं बाबा ने खुद ही अपने समाधि स्थल का चुनाव किया था। 9 सितंबर 1973 को बाबा आगरा चले गए और यहाँ पर कुछ दिन रहने के बाद बाबा ने मथुरा जाने का फैसला किया। मथुरा पहुंचते ही बाबा अचेत हो गए और लोगों ने उन्हें रामकृष्ण अस्पताल वृन्दावन में एडमिट कराया जहाँ पर उन्होंने 10 सितंबर 1973 को अपना देह त्याग दिया। वैसे तो बाबा की समाधि वृन्दावन में है लेकिन कैंची, विरापुरम और लखनऊ में भी इनके अस्थि कलशों की समाधि दी गई है। बाबा का लाखों भक्त उनकी सभी सभी समाधि स्थलों में जाकर दर्शन करते हैं।
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तो यह थी कैंची स्थित बाबा नीम करोली धाम की कहानी