Abhishek Verma Archery: मन में लगन और सपना पूरा करने की चाहत बस यही कुछ चीजें होती हैं, जो इंसान को जमीन से आसमान पर पहुंचा देती हैं। कई बार ऐसा होता है कि लोग एक-दो कोशिशों में सफल नहीं होते तो वो किस्मत को, भगवान को दोष देने लगते हैं। वह कमियां निकालने लगते हैं कि ऐसा होता तो वो ये कर लेते, लेकिन साफ शब्दों में कहा जाए तो यह एक तरह के बहाने होते हैं। क्योंकि यदि आप मन में कोई चीज ठान लो तो उसे हासिल करने से आपको कोई भी नहीं रोक सकता है। अपने सपनों को पूरा करने के लिए खुद पर विश्वास होना जरूरी है।
आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स की कहानी बताएंगे जिसने अपने दृढ़ संकल्प से वो कर दिखाया जिसकी कोई कल्पना तक नहीं कर सकता था। आज हम आपको बताएंगे 25 साल के अभिषेक थावरे के बारे में जो देश के पहले ऐसे तीरंदाज हैं जो हाथों से नहीं बल्कि दांतो से तीर चलाकर निशाना साधते हैं। जी हां, अपनी मेहनत और लगन के बल पर आज अभिषेक ने काफी नाम कमा लिया है।
दिव्यांग हैं अभिषेक
बता दें कि अभिषेक दिव्यांग हैं और अपने इस सपने को साकार करने के लिए उनको काफी मेहनत करनी पड़ी है। इस सफलता को पाने के लिए उन्होंने अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया था। अभिषेक बचपन से ही पोलियो ग्रस्त थे, जब उन्होंने होश संभाला तो उन्हें इस बात का पता लगा। लेकिन अपनी इस कमी को उन्होंने कभी भी अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया। जब वो क्लास 8वीं में पढ़ते थे तभी से वो एथलेटिक्स में हिस्सा लेने लगे थे। उनकी यह मेहनत रंग लाई और 12वीं कक्षा तक आते-आते वो नेशनल लेवल पर एक एथलीट बन गए।
कई मेडल कर चुके हैं अपने नाम
बता दें कि अभिषेक जब स्कूल में पढ़ रहे थे तभी से उन्होंने 5 किलोमीटर, 10 किलोमीटर की रेसों में हिस्सा लिया और सिर्फ हिस्सा ही नहीं लिया बल्कि कई मेडल भी अपने नाम किए। लेकिन अभिषेक के जीवन की परेशानियां यहीं पर खत्म नहीं हुई। जब लगा कि सब कुछ अच्छा हो रहा है तभी साल 2010 में 26 अक्टूबर के दिन उनकी किस्मत ने एक बार फिर से उनके साथ खेल खेला। अभिषेक एक दुर्घटना के शिकार हुए और उनके घुटने में गंभीर चोट लग गई। जिसके बाद ऐसा लगा कि अब जीवन में सब खत्म हो गया है, उनका जीवन ठहर सा गया था। अब वह दौड़ भी नहीं सकते थे। अब उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करें, किस खेल में अपनी किस्मत आजमाएं।
भाई ने दिखाया रास्ता
दिव्यांग और फिर पैरों से भी आशा खो चुके अभिषेक अपने जीवन से पूरी तरह से निराश और हताश हो चुके थे। लेकिन कहते हैं ना खुद की मदद करने वालों की मदद खुद खुदा करता है और ऐसा ही कुछ हुआ अभिषेक के साथ। उनकी जिंदगी में आशा की एक नई किरण लेकर आए उनके भाई। अभिषेक के रिश्ते के भाई संदीप गवई ने उन्हें एक रास्ता सुझाया और अभिषेक को तीरंदाजी करने की सलाह दी। बता दें कि संदीप खुद भी तीरंदाजी करते थे। लेकिन अभिषेक के दाएं हाथ और कंधे में इतनी ताकत नहीं थी कि वो तीर को अपने हाथों से खींच पाएं। लेकिन इसका समाधान भी उनके भाई ने उनको बताया और हाथों की बजाए दांतो से तीर खींचने की सलाह दी। काफी प्रैक्टिस के बाद अभिषेक इस काम में माहिर हो गए और अपने एक हाथ और दांतो की मदद से निशाना लगाने लगे। जिसके चलते अभिषेक भारत में दांतो से खींचकर तीर चलाने वाले पहले व्यक्ति बन गए।
ये है लक्ष्य
अभिषेक के भाई संदीप बताते हैं कि अभिषेक की इच्छाशक्ति बहुत मजबूत है और तीरंदाजी के लिए सबसे ज्यादा इसी की जरूरत होती है। बता दें कि धनुष से तीर को खींचकर निशाना लगाने वाली ताकत को ”पुल वेट” या ”पाउन्डेज” कहते हैं और एक बार तीर खींचने पर लगभग 50 किलो तक का पाउन्डेज लगता है जो कि काफी मुश्किल भरा काम होता है। लेकिन अपनी इच्छा शक्ति के चलते अभिषेक ने इस कार्य को बड़ी ही आसानी से कर लिया। अभिषेक ने बताया कि अब उनके जीवन का लक्ष्य है कि वह वर्ष 2020 के टोक्यो पैरालंपिक खेलों में न सिर्फ भारत का प्रतिनिधित्व करें बल्कि देश के लिए गोल्ड मेडल भी जीतें।