Shiv Charcha Katha In Hindi: शिव, हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वे शैव धर्म में प्रमुख हैं, शिव के शिष्यों ने दुनिया भर में शिव चर्चा के छोटे छोटे समूह बना रखे हैं ।
शिव को समझना और उनके सूत्रों को समझना दोनों ही अलग-अलग बातें हैं। शिव पूरे संसार में अपने ३ सूत्रों के लिए जाने जाते हैं।
1. पहला सूत्र है दया माँगन
दया माँगना , जब आप शिव को सच्चे मन से याद करेंगे तो शिव गुरु आपकी भावनाओं को देखकर आप पर दया करने पर विवश हो जायेंगे और हम ये भी जानते हैं कि हर कार्य शिव गुरु की दया से ही शुरू होता है।
“हे शिव ! आप जन जन के गुरु हैं, मैं आपका भक्त हूँ और मैं आपके आधीन हूँ। हे प्रभु ! अपने इस भक्त पर दया करें।”
2. दूसरा सूत्र है चर्चा करना
यह शिव कि चर्चा का सबसे मुख्य सूत्र है, जब दो या दो से ज्यादा मनुष्य किसी भी विषय पर बात करते हैं, तो उसे चर्चा कहा जाता है। वैसे ही जब दो या दो से ज्यादा मनुष्य शिव गुरु को याद करते हैं तो उसे हम अपने गुरु की चर्चा कहते हैं इससे हम अपने गुरु का ध्यान करते हैं । जब हम शिव की चर्चा दो या दो से अधिक मनुष्यों के बीच करते हैं तो हमारा शिव गुरु से, गुरु-शिष्य का रिश्ता बन जाता है और यह बताने की जरुरत नहीं कि गुरु-शिष्य के लिए क्या करता है।
“चर्चा का मुख्य उद्देश्य यह है कि “जिन मनुष्यों को अभी तक यह नहीं पता कि शिव आज भी गुरु हैं और वह एक गुरु कि तरह अपने भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं। “
चर्चा के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोग शिव को अपना गुरु बनाए और शिव गुरु उनका भी कल्याण करें।
आपका यह जानना बहुत जरुरी है कि जब हमारा रिश्ता शिव गुरु से हो जाएगा तो क्या होगा ?
3. तीसरा सूत्र है नमन करना
यहाँ नमन करने का मतलब है प्रणाम करना होता है और जब मैंने शिव को गुरु बना लिया तो नमन करना ही है।
इसको करने के लिए दो तरीके हैं, पहला है माला विधि और दूसरा है अजपा जाप। इन दोनों तरीकों में से किस भी जाप से आप शिव गुरु को प्रणाम कर सकते हैं।
“नमः शिवाय “
यह मंत्र पड़ने से, कुछ ही दिनों में आप महसूस कर पाएंगे कि आपके जीवन में कुछ अच्छे बदलाव आ रहे हैं। शिव गुरु आपके सारे दुःख और कष्ट दूर कर लेंगे।
शिव-शिव हैं देवों के देव महादेव ! शिव गुरु को कई नामों से जाना जाता है, जैसे ॐ, महादेव, भोले नाथ । पाँच शिव गुरु के लिए एक पवित्र नंबर है। उनके सबसे महत्वपूर्ण मंत्रों में से पांच शब्दांश हैं।
शिव गुरु को हिंदी त्रिमूर्ति में तीसरा स्थान दिया गया है, इस मूर्ति में 3 भगवानों का जिक्र किया गया है ब्रह्मा जी, विष्णु जी और हमारे शिव गुरु। शिव गुरु को इसमें, ब्रह्माण्ड को ख़तम करने का काम दिया गया है, इसलिए कहा जाता है कि शिव जी इस संसार को संवार भी सकते हैं और बिगाड़ भी सकते हैं। यह संसार शिव की ही रचना है, शिव ही सबके स्वामी हैं !
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