Central Govt Employees: शुक्रवार को हुई केंद्रीय कैबिनट की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, दिवालिया होने की कगार पर पहुंचे यस बैंक के पुनर्गठन योजना को मंजूरी मिल गई है। इस बैठक में, कोरोनावायरस के कारण अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान के बारे में भी चर्चा हुई है। केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों (Pensioner) के लिए बड़ी खबर सामने आई है। सरकार ने महंगाई भत्ता में ने 4 फीसदी की बढ़ोत्तरी करने पर मंजूरी दे दी है।
4 फीसदी बढ़ेगा महंगाई भत्ता- Central Govt Employees
सरकार ने कैबिनेट की बैठक में केंद्रिय कर्मचारियों और पेंशनधारकों को एक बड़ी राहत दी है। सरकार ने फैसला किया है कि महंगाई भत्ता 4 फीसदी तक बढ़ाया जाएगा। प्राप्त जानकारी की मानें तो, इस बैठक में केंद्र सरकार ने कर्मचारियों और पेंशनधारकों का महंगाई भत्ता बढ़ा देने का फैसला लिया। कुछ दिन पहले ही केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने लिखित जवाब में जानकारी दी थी कि मार्च महीने की सैलरी के साथ ही कर्मचारियों और पेंशनधारकों को महंगाई भत्ता दिया जाएगा।
जानिए क्या है महंगाई भत्ता
- महंगाई भत्ता ऐसा पैसे को कहते हैं, जो देश के सरकारी कर्मचारियों के रहन-सहन के लेवल को बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश ही ऐसे देश हैं, जो विश्व में सरकारी कर्मचारियों को ये भत्ता देते हैं।
- महंगाई भत्ता इसलिए दिया जाता है कि महंगाई बढ़ने के बावजूद भी कर्मचारियों के रहने-खाने के स्तर में महंगाई की वजह से कोई दिक्कत न हो।
- ये पैसा सरकारी कर्मचारियों को, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को और पेंशनधारकों को सरकार द्वारा दिया जाता है।
- महंगाई भत्ता देने की शुरूआत द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई थी। सैनिकों को खाने और दूसरी ज़रूरतों के लिए उनकी सैलकी के अतिरिक्त पैसा दिया जाता था। उस समय, इस पैसे को खाद्य महंगाई भत्ता या डियर फूड अलाउंस कहते थे।
- हर किसी को अपने वेतन के हिसाब से यह पैसा दिया जाता था। जैसे-जैसे वेतन में इजाफा होता था, महंगाई भत्ते के पैसे भी बढ़ा दिये जाते थे।
- 1972 में मुंबई के कपड़ा उद्योग में सबसे पहले इस भत्ते की शुरूआत हुई थी। इसके बाद सरकार सभी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देने लगी, ताकि महंगाई की मार का असर केंद्रिय कर्मचारियों पर न पड़ सके।
- 1972 में इसे लेकर एक कानून बनाया गया, जिससे कि ऑल इंडिया सर्विस एक्ट 1951 के तहत आने वाले सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगा था।