Blood Plasma Therapy: कोरोना महामारी की चपेट में दुनियाभर में 16 लाख से भी अधिक लोग आ गए हैं, जबकि इसकी वजह से अब तक एक लाख से भी अधिक लोग दम तोड़ चुके हैं। शोधकर्ता और वैज्ञानिक इसका टीका या दवाई ढूंढने की कोशिश लगातार कर रहे हैं। कोरोना वायरस का शिकार हो गए लोगों का प्रभावी तरीके से इलाज करने के लिए भारत में श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (SCTIMST) और इंस्टीट्यूशन ऑफ नेशनल इंपोर्टेंस ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने एक नया तरीका ढूंढ निकाला है।
नई तकनीक के बारे में
प्लाज्मा थेरेपी इस नई तकनीक का नाम है। इसमें जो व्यक्ति कोरोना संक्रमण से उबर चुका है, उसकी इम्यून क्षमता यानी कि रोग प्रतिरोधक क्षमता का इस्तेमाल करते हुए कोरोना से संक्रमित अन्य मरीजों का इलाज किया जाता है। कोरोना के संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की ओर से SCTIMST को इसके इस्तेमाल लिए मंजूरी प्रदान कर दी गई है। SCTIMST की निदेशक डॉ आशा किशोर के हवाले से मीडिया में बताया गया है कि ड्रग कंट्रोलर जनरल (DCGI) से उनकी ओर से ब्लड डोनेशन के मानदंडों में रियायत प्रदान करने के लिए अनुरोध किया गया है।
क्या है कांस्टेलेसेंट-प्लाज्मा थेरेपी? (Blood Plasma Therapy for Coronavirus)
कांस्टेलेसेंट-प्लाज्मा थेरेपी के बारे में यदि आपके मन में भी सवाल उठ रहे हैं तो आपको बता दें कि इसमें जो व्यक्ति कोरोना के संक्रमण का शिकार हुआ था, लेकिन अब वह पूरी तरीके से ठीक हो चुका है, उसके खून को कोरोना संक्रमित मरीजों के खून में डालकर उसका उपचार किया जाता है, जिससे कि उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। इससे मरीज के शरीर में बीमारी से लड़ने के लिए एंटीबॉडी तैयार करने में मदद मिलती है। शरीर में वायरस को ऐसे एंटीबॉडी के जरिए पहचान लिया जाता है। इसके बाद मरीज के शरीर में जो श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं वे इस वायरस को शरीर के अंदर ही मार डालती हैं, जिससे कि संक्रमण समाप्त हो जाता है।
क्या होते हैं एंटीबॉडीज?
संक्रमण के दौरान फ्रंट-लाइन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में एंटीबॉडीज की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। एक खास प्रकार के प्रोटीन ये एंटीबॉडीज होते हैं, जो शरीर में बी लिम्फोसाइट्स नामक प्रतिरक्षा कोशिकाओं से निकलते हैं। वायरस के शरीर पर धावा बोलने के दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडीज डिजाइन करके हमला करने वाले वायरस को नष्ट करना शुरू कर देती है, जिससे संक्रमण से छुटकारा मिल जाता है।