Supreme Court Decision on Jagannath Yatra: हर साल पुरी में भगवान् जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। इस रथ यात्रा में हिस्सा लेने देश सहित विदेशों से भी लोग आते हैं। लेकिन इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन उस तरह से नहीं हो पायेगा जैसा हर साल होता है। इसका मुख्य कारण है कोरोना वायरस। जी हाँ इस वायरस के प्रसार को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में इस साल इस यात्रा पर रोक लगाने की अपील की गई थी। लेकिन दूसरी तरफ जगन्नाथ कमिटी द्वारा कुछ नियमों का पालन करते हुए रथ यात्रा का आयोजन होने देने की अपील भी की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के बाद अब फैसला आ गया है। आइये इस बारे में आपको विस्तार से बताते हैं।
तीन जजों के पैनल ने सुनाया फैसला
बता दें कि, जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन होगा या नहीं इस साल, इस विषय पर फैसला देने के लिए आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। आपको बता दें कि, इस मामले में सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया एसए बोवडे ने तीन जजों का एक पैनल गठित किया। इस पैनल में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के अलावा जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी भी शामिल थे। पक्ष के वकील तुषार मेहता ने सुनवाई शुरू होते ही जजों के पैनल से जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत करने की अपील की। उन्होनें अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, यात्रा के दौरान सुरक्षा के नियमों का पालन किया जाएगा और किसी भी चीज से समझौता नहीं किया जाएगा। बता दें कि, इस पर चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया ने उनसे साफ़ पूछा कि, आखिर इस यात्रा का आयोजन क्यों होना चाहिए। जवाब में तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि, इस यात्रा का आयोजन पुरी के गजपति, शंकराचार्य और जगन्नाथ मंदिर कमेटी से सलाह मशवरा लेकर शांति पूर्ण ढंग से किया जा सकता है। इस दौरान मेहता ने केंद्र सरकार की मंशा बताते हुए कहा कि, सरकार भी इस रथ यात्रा का आयोजन चाहती है। इस यात्रा में कम से कम और केवल आवश्यक लोगों को ही इस साल शरीक किया जाएगा।
इन शर्तों के साथ होगी जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत
काफी देर बहस चलने के बाद अंत में चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया ने इस साल कुछ शर्तों के साथ जगन्नाथ यात्रा का आयोजन करने की इजाज़त दे दी है। सुरक्षा का ध्यान रखते हुए एक वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से कहा कि, यात्रा के दौरान कर्फ्यू लगा दी जाए और रथ को कोविड 19 नेगटिव पोलिकर्मियों द्वारा खींचा जाए। बता दें कि, रणजीत कुमार नाम के शख़्स ने इस साल रथ यात्रा का आयोजन ना हो इसकी याचिका डाली थी। उनका कहना है कि, चूँकि जगन्नाथ रथ यात्रा में हर साल करीबन 2500 से भी ज्यादा पंडे शामिल होते हैं इसलिए ये लोगों की सुरक्षा के लिए मुश्किल भरा हो सकता है। इस पर चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया ने सफाई देते हुए कहा कि, अव्यवस्था ना फैले इस बात का ध्यान रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। कोरोना वायरस से बचाव के लिए केंद्र सरकार की गाइडलाइन का पालन करना इस दौरान आवश्यक हो