उत्तर प्रदेश में नवंबर से होने वाले राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर बहुजन समाज पार्टी(Bahujan Samaj Party) में बगावत के सुर काफी तेज हो गए हैं। इस बीच यूपी के प्रमुख दल बसपा और सपा के बीच सियासी अखाड़ा और गर्म हो गया है। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती(Mayawati) ने अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) की पार्टी पर उनके विधायकों को तोड़ने ऑल राजनीतिक फायदे के लिए पार्टी में बसपा में अंदरूनी खलल पैदा करने का इल्ज़ाम लगाया है।
दूरियों के सपा को ठहराया जिम्मेदार
बीएसएपी अध्यक्ष मायावती(Mayawati) ने कहा कि समाजवादी पार्टी अपने परिवार की लड़ाई के कारण, बसपा के साथ ‘गठबंधन’ का अधिक लाभ नहीं ले सके। लोकसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी ने बातचीत करना बंद कर दिया था। इस वजह से हमने भी समाजवादी पार्टी से दूरी बना ली। मायावती ने कहा कि भाजपा से मिले होने का आरोप बेबुनियाद है।
रामजी गौतम के लिए हई थी राम गोपाल से बात – मायावती
मायावती(Mayawati) ने कहा कि हमारी राम गोपाल यादव से बात हुई थी, उन्होंने सिर्फ एक सीट पर चुनाव लड़ने की बात कही थी। इस बातचीत के बाद हमने अपने प्रत्याशी रामजी गौतम को उतारा। मायावती ने आरोप लगाया कि झूठा हलफनामा दायर किया गया था।
क्या है पूरा मामला
दरअसल उत्तर प्रदेश में नवंबर के शुरुआत में राज्यसभा की सीटों के लिए चुनाव होने हैं। लेकिन उससे पहले मायावती की बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रामजी गौतम के 10 प्रस्तावकों में से 5 ने अपना समर्थन वापस ले लिया है। जिससे रामजी गौतम की उम्मीदवारी संकट में नजर आ रही है।
जानकारी के मुताबिक समर्थन वापस लेने वाले 5 प्रस्तावकों ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) से मुलाकात की है। इसके बाद बीएसपी के पांच विधायकों ने बुधवार सुबह अचानक विधानसभा में अपना प्रस्ताव वापस ले लिया।
बसपा के असलम चौधरी, असलम राईनी, मुज्तबा सिद्दिकी, हाकम लाल बिंद, गोविंद जाटव ने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया है। इससे पहले असलम चौधरी की पत्नी ने समाजवादी पार्टी में शामिल हुईं थीं।