जालंधर(Jalandhar) के दातार नगर के 75 साल की सत्य देवी(Satya Devi) की कहानी महिलाओं को प्रेरित कर रही है । 1971 की जंग में सत्या देवी के पति मंगल सिंह(Mangal Singh) लापता हो गए थे जिसके बाद पाकिस्तानी सेना ने उन्हें गिरफ्तार कर बंदी बना लिया था। जब मंगल सिंह लापता हुए थे तब उनकी उम्र 27 साल थी और सत्या देवी के गोद में दो बेटे थे। तभी से वह अपने पति का इंतजार कर रही हैं। हाल ही में विदेश मंत्रालय द्वारा एक चिट्ठी ने सत्या देवी की उम्मीदें बढ़ा दी हैं।
क्या है सत्या देवी(Satya Devi) की पूरी कहानी
मंगल सिंह 1962 में सेना में भर्ती हुए थे और 1971 में उनका ट्रांसफर रांची से कोलकाता कर दिया गया था। उसके बाद बांग्लादेश में उनकी ड्यूटी लग गई थी। तभी कुछ दिनों बाद यह खबर आई कि बांग्लादेश से सैनिकों को ले जा रही एक नाव डूब गई जिसमें मंगल सिंह(Mangal Singh) भी शामिल थे, सारे सैनिक डूब गए और मारे गए। तभी से सत्या देवी(Satya Devi) अपने पति की वापसी की उम्मीद कर रही हैं। उन्होंने कई बार रिहाई के लिए जोर भी लगाया पर उन्हें कोई मदद नहीं मिली।
सत्या देवी(Satya Devi) ने भारत सरकार को कई पत्र लिखे पर उन्हें सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली। अब जाके सत्या देवी को 49 साल बाद पिछले सप्ताह विदेश मंत्रालय द्वारा एक खत आया। जिसमें उनके पति के जिंदा होने की जानकारी दी गई है। विदेश मंत्रालय की चिट्ठी में लिखा था कि मंगल सिंह पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बंद है। भारत सरकार पाकिस्तान सरकार से बात कर रही है ताकि वह मंगल सिंह(Mangal Singh) की रिहाई कर सकें। सत्य और उनके दो बेटे पिछले 49 साल से अपने पिता और पति की राह देख रहे हैं तो उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह जल्द से जल्द उनकी रिहाई करवा दे।
जैसे विदेश मंत्रालय की चिट्ठी सत्या को मिला उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह अब अपने पति से जल्द मिल पाएंगे। उन्होंने काफी कष्ट झेला है अपने बच्चों को पालने के लिए पर अब उन्हें उम्मीद है कि उनके पति जल्दी उनसे मिल पाएंगे। सत्या के दो बेटे भी उनके पिता की राह पिछले 49 साल से देख रहे हैं। मंगल सिंह के बड़े बेटे रिटायर्ड फौजी दलजीत सिंह ने कहा कि पिछले 49 सालों में उन्होंने अपने पिता के रिहाई की बहुत कोशिश की पर असफल रहे। उनके पिता गायब हुए थे जब वह महज 3 साल के थे।
आपको बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध हुआ था जिसके बाद बांग्लादेश भारत से अलग हो चुका था। यह युद्ध 3 दिसंबर 1971 को शुरू हुआ था और 16 दिसंबर 1971 को अंत हुआ इस युद्ध का।