Lotan Ke Chole Kulche: भारत की राजधानी दिल्ली हमेशा से ही अपने लज़ीज़ स्ट्रीट फ़ूड के लिए दुनिया भर में मशहूर है। यहां शहर के हर गली-कूंचे के नुक्कड़ पर एक ना एक चाट-पकौड़ी वाला मिल ही जाता है, जिसके ठेले पर रखे समान की खुशबू आपकी भूख को भड़काने का काम करती है। कुछ ऐसा ही जादू है पुरानी दिल्ली स्थित लोटन के छोले-कुलचे में।
लोटन के छोले-कुलचे(Lotan Ke Chole Kulche) का यह स्टॉल आजादी से भी पहले का है और इसकी खास बात यह है कि आज भी इनके छोले-कुलचों में वही पुराना जादू है। यूं तो दिल्ली में बहुत से छोले-कुलचे वाले हैं, लेकिन यदि आपने लोटन के छोले कुलचे नहीं खाए तो आपने कुछ नहीं खाया। आइए आज जानते हैं क्या है लोटन के छोले कुलचों के स्वाद का राज़।
ब्रिटिश इंडिया से चली आ रही है लोटन की दुकान
लोटन फ़ैमिली ने सन 1930 में ब्रिटिश इंडिया के टाइम पर ही पुरानी दिल्ली की गली शाहजी (बड़साबूला चौक) में छोले कुलचे बेचना शुरू किया था। इस काम को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया गया और आज लोटन फैमिली की 5वीं पीढ़ी भी यहीं काम कर रही है।
लोटन के छोले खाने से ठीक हो जाते हैं मुंह के छाले और तेज़ बुखार
आज़ादी के बाद यह दुकान दरियागंज में शिफ्ट हो गई। इसके अलावा इनकी एक ब्रांच अब यमुनापार के कृष्ण नगर में भी खुल गई है। पुरानी दिल्ली के लोगों का मानना है कि लोटन के तीखे और मसालेदार छोले खाने से मुंह के छाले व तेज बुखार में आराम मिलता है।
जी हाँ! ‘लोटन के छोले-कुलचे'(Lotan Ke Chole Kulche) इतने चटपटे होते हैं कि कान से धुआँ निकाल दें। खासतौर पर इनकी लाल-बैंगनी चटनी, जिसे आप केवल एक लिमिटिड मात्रा में ही खा सकते हैं। लोगों के अनुसार यह एक चमत्कारी चटनी है जो ‘शारीरिक ताप’ को कम करती है।
घर के पिसे मसाले हैं इनकी खासियत
लोटन फ़ैमिली छोले में डालने के लिए सभी मसाले पुरानी दिल्ली के ‘खारी बावली’ से खरीदती है, उसके बाद हफ्ते भर के लिए ये मसाले हर रविवार को घर पर ही पीसे जाते हैं।
लोटन के छोले-कुलचे बनाने की विधि
सबसे पहले छोलों में एक स्पेशल गरम मसाला डालकर कोयले की सिगड़ी पर हल्की आंच में इन्हें उबाला जाता है। इस प्रक्रिया में छोले वैसे ही रहते हैं और पानी सूप में बदल जाता है। इसके बाद छोले को दुकान पर पहुंचाया जाता है और परोसते समय छोले में अमचूर की खट्टी चटनी व कुछ खास मसालों के साथ तड़का लगी लाल मिर्च की तीखी चटनी ऊपर से डाली जाती है। इसके बाद हरा धनिया और कसा हुआ अदरक भी ऊपर से डाला जाता है और कुलचों के साथ दिया जाता है।
मजे की बात ये है कि छोले-कुलचे खाने के बाद लोगों को छोले का सूप फ़्री दिया जाता है, जो कि इनकी विशेषता है। बहुत से लोग इस सूप का आनंद उठाने के लिए घर से गिलास भी लेकर आते हैं और इसमें मक्खन डलवाकर पीते हैं।
क्यों बरकरार है आजादी से पहले का स्वाद?
लोटन फ़ैमिली का कहना है कि वे मिर्च वाली तीखी चटनी में अपने पूर्वजों द्वारा इस्तेमाल की गई दो अनमोल जड़ी-बूटियाँ मिलाते हैं, जिस वजह से वही पुराना स्वाद अभी तक बरकरार है। इन जड़ी बूटियों का पता आज तक किसी को नहीं लग पाया, शायद यही कारण है कि लोटन का स्वाद सबसे अलग होता है। इनके विशेष स्वाद की एक खासियत ये भी है कि ये आज भी छोलों को कोयले की आंच पर ही पकाते हैं व किसी भी ऊपरी मसाले का प्रयोग नहीं करते।
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आइए पता भी बता दें
यदि आप भी लोटन के छोले कुलचे का मजा चखना चाहते हैं तो तुरंत पहुँच जाइए पुरानी दिल्ली के दरियागंज स्थित ‘कमर्शल स्कूल’ के पास। यहां इनका ठेला सुबह 7 बजे से 1 बजे तक केवल बच्चों के लिए लगता है और इसके रेट भी कम होते हैं। इसके बाद यह बाहरी लोगों के लिए तब तक लगता है जब तक सारा माल निपट ना जाए। हालांकि, कृष्णा नगर वाली दुकान दिन भर खुली रहती है। लोटन के छोले-कुलचे की 1 प्लेट 40 रुपये व मक्खन वाली 60 रुपये में मिलती है। दिल्ली गेट सबसे नजदीकी मेट्रो स्टेशन है।