Brahma Temple Pushkar History In Hindi: हमारा देश भारत कई विविधताओं का इकलौता संग्रह है यहाँ पर कई अलग अलग देवी देवताओं की पूजा विधिवत ढंग से की जाती है। सनातन धर्म में त्रिदेवों को एक विशेष महत्त्व दिया गया है, त्रिदेव यानी कि भगवान विष्णु, भगवान ब्रह्मा और भगवान शिव हैं। हिन्दू धर्म में वैसे तो मुख्य रूप से भगवान श्री हरी विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सृष्टि के रचयिता परम पिता ब्रह्मा की पूजा क्यों नहीं की जाती है? ब्रह्मा देव के नाम से पूरे विश्व में सिर्फ एक ही मंदिर स्थित है और वह मंदिर राजस्थान के ख़ूबसूरत से शहर पुष्कर में पुष्कर झील के किनारे स्थित है। आज के इस लेख में हम आपको पुष्कर स्थित दुनिया के इकलौते ब्रह्मा मंदिर के इतिहास के बारे में बताएँगे।
आखिर कब हुआ ब्रह्मा मंदिर का निर्माण(Brahma Temple Pushkar History In Hindi)
सृष्टि के रचयिता परम पिता ब्रह्मा को समर्पित दुनिया के इकलौते इस ब्रह्मा मंदिर का निर्माण 14 वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में एक सुंदर नक्काशीदार चांदी का कछुआ स्थापित है जिसे दान में मिली हुई चाँदी से बनाया गया है। मंदिर के गर्भगृह में उनकी पत्नी माता गायत्री के साथ ब्रह्म देव की चार मूर्तियां स्थापित हैं।
मंदिर से जुडी हुई पौराणिक कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान ब्रह्मा ने पृथ्वी पर सभी जीवों की भलाई के लिए एक यह करने का विचार किया। यज्ञ के लिए उचित जगह का चुनाव करने के लिए भगवान ब्रह्मा ने पृथ्वी लोक पर अपने कमल को भेजा और यह कमल ठीक उसी स्थान पर गिरा जहाँ पर आज पुष्कर झील स्थित है। इसके बाद भगवान ब्रह्मा यज्ञ करने के लिए पृथ्वी लोक पर आये लेकिन उनकी पत्नी सावित्री ठीक समय पर नहीं पहुँच पाईं। शुभ मुहूर्त का समय धीरे धीरे बीता जा रहा था लेकिन सावित्री का कोई पता नहीं था और सभी देवी देवता भी यज्ञ स्थल पर पहुंच चुके थे। ऐसी स्थित में ब्रह्मा जी ने नंदिनी गाय के मुख से माता गायत्री को प्रकट किया और उनसे विवाह कर शुभ मुहूर्त के अंदर यज्ञ का कार्य प्रारम्भ कर दिया। कुछ देर के बाद जब सावित्री यज्ञ स्थल पर पहुंची तो उन्होंने अपने पति के पास पराई स्त्री को देखकर क्रोधित हो गयीं और उन्हें श्राप दिया कि इस समस्त पृथ्वी लोक में आपकी कहीं भी पूजा अर्चना नहीं होगी। इस श्राप को देखते हुए जब समस्त देवी देवताओं ने सावित्री से श्राप वापिस लेने का आग्रह किया तो उन्होंने बाद में कहा कि आज के बाद से सिर्फ पुष्कर में ही आपकी पूजा अर्चना होगी। इस घटना के बाद ही पुष्कर में में भगवान ब्रह्मा के इकलौते मंदिर का निर्माण हुआ।
दो हज़ार साल पुराना है मंदिर का इतिहास(Brahma Temple Pushkar History In Hindi)
हिन्दू पुराणों के अनुसार पुष्कर स्थित इस इकलौते ब्रह्मा मंदिर का निर्माण करीब 2000 साल पुराना है। लेकिन मंदिर की नवीन वास्तुकला को देखने के बाद पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण 14 वीं शताब्दी के आस पास हुआ था। पूरे हिंदुस्तान में जब औरंगजेब का शासन था तब सभी हिंदू मंदिरों को नष्ट किया जा रहा था लेकिन इस मंदिर को कोई भी आताताई छु नहीं पाया और यह मंदिर आज भी ज्यों का त्यों स्थित है।
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तो यह था दुनिया के इकलौते ब्रह्मा मंदिर का इतिहास(Brahma Temple Pushkar History In Hindi)।