Panchkanya Story in Hindi: हमारी सनातन संस्कृति में कन्याओं को देवी का स्वरुप माना जाता है और उनकी विधिवत पूजा भी की जाती है। सनातन धर्म में कई देवियों और उनके अवतारों का वर्णन मिलता है। वहीं कुछ महिलाऐं ऐसी भी हैं जिनका जन्म भले ही मनुष्य योनि में हुआ है लेकिन मनुष्य योनि में भी वो बहुत ही दिव्य मानी जाती हैं। सनातन संस्कृति में पांच ऐसी ही महिलाओं का वर्णन है जो विवाहित होकर भी कुंवारी मानी जाती हैं। इन महिलाओं की पूजा बहुत ही शुभ और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाती है। आज के इस लेख में हम आपको पांच दिव्य कन्याओं के बारे में विस्तार से बताएंगे।
पांच दिव्य कन्याएं(Panchkanya Story in Hindi)
कुंती
पांडवों की माता कुंती को ऋषि दुर्वासा से एक वरदान मिला था कि वो विवाहित होने के बाद भी कुंवारी रहेंगी। एक बार जब ऋषि दुर्वासा पांडवों की कुटिया में आए थे तो माता कुंती ने उनकी खूब सेवा की थी, माता कुंती की सेवा से प्रसन्न होकर ऋषि दुर्वासा ने उन्हें आशीर्वाद दिया और बोला कि वो विवाहित होने के बाद भी कुंवारी रहेंगी और उनकी पूजा करने वाले मनुष्यों की सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
तारा
तारा समुद्र मंथन से निकली हुई एक अप्सरा थी और उसे पाने के लिए देव और दानवों में भीषण युद्ध हुआ था। तारा का विवाह किष्किंधा के राजा बाली के साथ हुआ था। बाली के वध के उपरान्त भगवान श्री राम ने तारा को आजीवन कुंवारी रहने का आशीर्वाद दिया था।
मंदोदरी
रावण की पत्नी मंदोदरी को चिर कुमारी भी कहा जाता है। मंदोदरी भगवान भोलेनाथ की अनन्य भक्त थीं और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर ही भोलेनाथ ने उन्हें रावण से विवाह करने का आशीर्वाद दिया था और इसके अतिरिक्त भी भगवान ने मंदोदरी को आजीवन कुंवारी रहने का आशीर्वाद दिया था।
द्रौपदी
द्रौपदी का जन्म यज्ञ कुंड से हुआ था और इसी वजह से इन्हे यज्ञसेनी भी कहा जाता है। जब कौरवों की द्युत सभा में द्रौपदी का चीर हरण हुआ तो उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से मदद की गुहार लगाई और फिर श्री कृष्ण ने कौरवों के सामने द्रौपदी के सम्मान की रक्षा की। भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को आशीर्वाद भी दिया कि विवाहित होने के बाद भी तुम आजीवन कुंवारी रहोगी।
देवी अहिल्या
देवी अहिल्या महर्षि गौतम की अर्धांगिनी थीं जो किसी कारणवश पत्थर की मूर्ती में तब्दील हो गयी थीं। त्रेतायुग में भगवान श्री राम ने देवी अहिल्या का उद्धार किया था। श्री राम ने पत्थर बनी देवी अहिल्या को अपने चरणों के स्पर्श से मुक्त किया था। देवी अहिल्या के संस्कारों को देखने के बाद भगवान श्री राम ने उन्हें कुंवारी रहने का आशीर्वाद दिया था।
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तो यह थी पंच दिव्य कन्याओं के रहस्य की कहानी(Panchkanya Story in Hindi) ।