Rigved Kya Hai: सनातन संस्कृति में वेद को सबसे पुराना धर्म ग्रंथ है और वेद का अर्थ ज्ञान होता है। वेदों में सभी देवी देवताओं, ज्योतिष, गणित, ब्रह्मांड, औषधि, धर्म, संगीत भूगोल, राजनीति का व्यापक ज्ञान मौजूद है। वेद इस लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे किसी इंसान ने नहीं बल्कि ऋषि मुनियों ने ईश्वरीय ज्ञान प्राप्ति के बाद लिखा है। इसी वजह से कई जगहों पर वेदों को ‘श्रुति’ भी कहा गया है।
हिन्दू धर्म में चार वेद क्रमशः ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद हैं। इनमें से ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है और इसकी रचना सप्त-सैन्धव प्रदेश में हुई थी। यूनेस्को ने 1800 से 1500 ईसा पूर्व की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल किया है। आज के इस लेख में हम आपको ऋग्वेद से जुड़ी हुई सभी जानकारी विस्तार पूर्वक देंगे।
ऋग्वेद है क्या ? (Rigved Kya Hai)
ऋग्वेद पद्यात्मक है और इसमें सूर्य, वरुण, अग्नि, रुद्र, इंद्र, मरुत, सवित्रु और दो अश्विनी देवताओं की स्तुति है। ऋग्वेद में 10 अध्याय हैं और इसमें 1028 सूक्तों में 11 हजार मंत्र हैं। इस वेद में 125 औषधियों के बारे में बताया गया है जो 107 स्थानों पर पाई जाती हैं। इस वेद की 5 प्रमुख शाखाएं क्रमशः शाकल्प, वास्कल, अश्वलायन, शांखायन और मंडूकायन हैं। आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि, ऋग्वेद में 16 अन्य शाखाएं भी हैं। ऋग्वेद का उपवेद आयुर्वेद है और इसके रचयिता धन्वंतरि देव हैं।
ऋग्वेद के उपनिषद (Rigved Ke Upanishad)
वर्तमान समय में ऋग्वेद के 10 उपनिषद मौजूद हैं और इनके नाम क्रमशः ऐतरेय, आत्मबोध, कौशल्यितकि, मुदगल, निर्वाण, नादबिंदु, अक्षमाया, त्रिपुरा, बह्वरुका और सौभाग्यलक्ष्म हैं।
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ऋग्वेद के ब्राह्मण ग्रंथ (Brahman Granth of Vedas)
ब्राह्मण ग्रंथ की संख्या 13 है और ऋग्वेद में 2 ब्राह्मण ग्रंथ हैं। ऋग्वेद का पहला ब्राह्मण ग्रंथ ऐतरेयब्राह्मणग्रंथ (शैशीयशाकलशाखा) है तो वहीं दूसरा ग्रंथ कौषतकी (शांखायन) है। वेद में मौजूद मंत्रों के अध्याय को ‘सहिंता’ भी कहते हैं, वहीं सहिंतापारक विवेचन को ‘आरण्यक’ तो वहीं सहिंतापारक भाष्य को ब्राह्मणग्रंथ के नाम से जाना जाता है।