Bhopal Me Ghumne Ki Jagah: आज के टाइम में काम का बोझ व्यक्ति पर इतना ज्यादा है कि उसके पास खुद के लिए थोड़ा भी समय निकाल पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। मगर आपको बता दें कि यदि आप सारा टाइम काम ही करेंगे, खुद को समय नहीं देंगे, कहीं मूड फ्रेश नहीं करेंगे तो ऐसे में इसका सीधा असर आपके काम के साथ- साथ आपके स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा। इसलिए यह बहुत ही आवश्यक हो जाता है कि काम के दौरान आप अपने लिए कुछ समय निकालें और कहीं बाहर घूम कर आयें। अब बाहर घूमने का मतलब यह नहीं कि आप सीधा विदेश ही चले जाएं। हमारे देश में भी ऐसी बहुत सारी जगहें हैं जहां आप कुछ शानदार वक्त बिता सकते हैं और कई यादगार लम्हे समेट सकते हैं। ऐसे में आज हम बात करने वाले हैं भारत के बीचों-बीच बसे राज्य मध्य प्रदेश की, जिसे भारत का ह्रदय भी कहा जाता है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल है और आज के इस पोस्ट में हम आपको भोपाल में कुछ बेहद ही प्रसिद्ध घूमने वाली जगहों के बारे में बताएंगे।
बताया जाता है कि इसे 11वीं शताब्दी में राजाभोज द्वारा बसाया गया था। उस दौरान इसे भोजपाल कहा जाता था, जो अपभ्रंश होकर भोपाल हो गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मध्य प्रदेश की राजधानी होने के साथ−साथ भोपाल शहर प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के सभी आधुनिक आयाम भी स्थापित करता है। आज भोपाल पुराने बाजार, मस्जिदों, महल, सुंदर पार्क और गार्डन, लंबी चौड़ी सड़कें, आधुनिक इमारतों से एक सुंदर शहर बन गया है। तो चलिये जानते हैं भोपाल में घूमने वाले कुछ दार्शनिक स्थलों के बारे में।
भीमवेटका [Bhimbetka Rock Shelters]
विंध्याचल की पहाड़ियों के उत्तरी किनारे पर स्थित भीमवेटका गांव चारों तरफ से बड़ी−बड़ी चट्टानों से घिरा हुआ एक बहुत ही खूबसूरत स्थान है। बता दें कि इन चट्टानों में पूर्व पाषाण युग की गुफाओं में तकरीबन 600 से भी ज्यादा भित्ति चित्रों की जानकारी हुई है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि संसार में अब तक पाये जाने वाले पाषाण युगीन भित्ति चित्रों कि यह गुफाएं सबसे बड़ा खजाना हैं। भोपाल में स्थित भीमवेटका स्थान पर आने के बाद आप ऐसा महसूस करेंगे जैसे आप किसी दूसरी ही दुनिया में आ गये हों।
अपर लेक [Bhojtal]
भोपाल को झीलों के शहर के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि भोपाल शहर में बहुत अधिक संख्या में झीलें मौजूद हैं और यहां की सबसे महत्वपूर्ण झील है अपर लेक। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अपर लेक का नाम राजा भोजताल के नाम पर रखा गया है और यही वजह है कि इसे भोजताल के नाम से भी जाना जाता है। यहां के स्थानीय निवासी अपर लेक को बड़ा तालाब भी कहते हैं। बताया जाता है कि इस झील के एक कोने पर राजा भोज की विशालकाय प्रतिमा भी बनी है। इसके अलावा इसी झील के ऊपर बने ब्रिज पर पर्यटकों के लिए सेल्फी पांइट भी बना हुआ है, जहां पर आने वाले सभी पर्यटक ढेर सारी यादें अपने साथ लेकर जाते हैं।
लक्ष्मी नारायण मंदिर (बिड़ला मंदिर)
भोपाल शहर में ना सिर्फ प्राकृतिक और पुरातात्विक स्थल बल्कि पौराणिक स्थल भी मौजूद हैं, जहां पर पर्यटकों की अच्छी-खासी भीड़ जमा रहती है। भगवान लक्ष्मी नारायण का मंदिर जिसे बिड़ला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, ये भोपाल के अरेरा पहाड़ियों पर करीब पांच दशक पूर्व स्थापित किया गया था। यह शानदार मंदिर श्री हरि व लक्ष्मी जी को समर्पित है जहां इनकी मनोहारी प्रतिमा यहां आने वाले सभी श्रद्धुलाओं और पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है। मंदिर के भीतर लक्ष्मी नारायण की प्रतिमाओं के अलावा एक ओर शिवजी की तो दूसरी ओर मां जगदंबा की मूर्ती विराजमान है, जो मंदिर को और अधिक आकर्षित बनाती है।
शौर्य स्मारक [Shaurya Smarak Bhopal]
आपको बता दें कि यदि आप भोपाल में घूमने आए हैं तो मौका निकाल कर शौर्य स्मारक जरूर जाएं।
भोपाल शहर का शौर्य स्मारक तकरीबन 12 एकड़ में फैला हुआ है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अगस्त 2014 में किया गया था। शौर्य स्मारक इस शहर में घूमने आने वाले सभी पर्यटकों को अमर शहीदों की शौर्य गाथा से रूबरू करवाता है। शौर्य स्मारक में ग्रेनाइट के पत्थर से बना 62 फुट ऊंचा स्तम्भ है। शौर्य स्मारक स्तम्भ की नींव के पास जलने वाली अनंत ज्योति सैनिकों के बलिदान की याद दिलाती है। तीनों सेनाओं की यादों को चित्रों में संजोते हुए संग्रहालय में परमवीर चक्र और महावीर चक्र जैसे शौर्य पुरस्कारों को देखा जा सकता है, जिसे देखकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
भोजपुर मंदिर [Bhojeshwar Temple]
जानकारी के लिए बता दें कि देश के प्राचीनतम मंदिरों में से एक इस मंदिर को भोजेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भोजपुर मंदिर की स्थापना गुर्जर परमार वंश के राजा भोज ने की थी और यही वजह है कि इसे भोजपुर मंदिर व इस स्थान को भोजपुर के नाम से जाना जाता है। आपको यह भी बता दें कि इस प्राचीन मंदिर की इतनी ज्यादा ख्याति है कि इसे उत्तर भारत के सोमनाथ के नाम से भी जाना जाता है।
वैसे आपको बता दें कि घूमने के उद्देश्य से भोपाल में ऐसी तमाम जगहें है जहां पर आपको देश के इतिहास और पौराणिक चीजों का भंडार मिलेगा। उदाहरण के तौर पर यहां हजारों साल पुराने बौद्ध स्तूप हैं जो सांची के स्तूप के नाम से लोकप्रिय हैं। इसके अलावा एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद ताज-उल- मस्जिद भी यही स्थित है। इस मस्जिद की खासियत इसकी शानदार नक्काशी है। यहां की ऐतिहासिक इमारतें देखने के लिए लोग विदेशों से भी आते हैं।
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