Featured

राजस्थान के बूंदी में खेला जाता है यह अनोखा खेल, सात सदियों से निभा रहें हैं यह अनोखी परंपरा

Dada Rajasthan Traditional Game: भारत में मकर संक्रांति का त्यौहार बेहद धूमधाम से मनाया जाता है, बस सबके इसे मनाने के तरीके अलग-अलग होते हैं। कहीं इस दिन पतंगे उड़ाई जाती हैं तो कहीं दान पुण्य किया जाता है और कहीं जलीकट्टू मनाया जाता है। ऐसे ही राजस्थान का बूंदी जिला जो कि अपने इतिहास और संस्कृति के लिए विश्व प्रसिद्ध है, एक सदियों पुरानी मकर संक्रांति की परंपरा आज भी जीवित रखे हुए है।

राजस्थान का पारंपरिक खेल है ‘दड़ा'(Dada Rajasthan traditional game)

राजस्थान के बूंदी जिले से कुछ 25 किमी दूर बरूंधन नामक एक गांव है, जहां मकर संक्रांति के दिन 700 वर्ष पुरानी पर एक अनोखी परम्परा निभाई जाती हैराजस्थान के इस पारंपरिक खेल ‘दड़ा'(Dada Rajasthan traditional game) को खेलने के लिए दो गांव के लोग दड़ा खेलने के लिए एक दूसरे को ललकारते हैं। ‘दड़ा’ खेलने के लिए 40 किलो का एक ‘दड़ा’ यानि व्यर्थ कपड़ों से बनी फुटबॉल बनाई जाती है और इसे खेलने का सिलसिला सुबह से शाम तक चलता है। दोनों गांव से एक-एक टीम बनाई जाती है और फिर दोनो टीमों के बीच मैच खेला जाता है, जिसकी तैयारी एक महीने पहले से ही शुरू हो जाती है। 

Image Source – Aaj Tak

राजस्थान का पारंपरिक खेल दड़ा (Dada Rajasthan traditional game), राजपूत समाज और गांव के लोगों के बीच खेला जाने वाला वह अनोखा खेल है जिसमें युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक सब हिस्सा लेते हैं। इस खेल में जोर आजमाइश तो खूब होती है, लेकिन लड़ाई-झगड़े से इतर यह खेल आपसी सामंजस्य के साथ खेला जाता है।

गांव के लोगों को यह खेल खेलते देखना बेहद लुभावना होता है, मानो कोई फुटबॉल का वर्ल्ड कप चल रहा हो। खेल का उत्साह इस हद तक होता है कि आसपास के भी सभी गांव उसी जगह इकट्ठा हो जाते हैं और घरों की छतों पर चढ़कर इस खेल का मजा लेते हैं।

राजस्थान के पारंपरिक खेल ‘दड़ा’(Dada Rajasthan traditional game) का समय होता था निश्चित

Image Source – Aaj Tak

यूं तो राजस्थान का पारंपरिक खेल दड़ा (Dada Rajasthan traditional game), प्राचीन समय से ही 3 घंटे का खेल होता है, लेकिन गांव वाले इसे पूरा दिन खेलते हैं। इस मकर सक्रांति पर भी यह खेल बेहद उत्साह के साथ खेला गया, लेकिन इस बार दोनों टीमों के बीच टाई रहा।

यह भी पढ़े

कहा जाता है कि राजाओं के समय में, मकर संक्रांति के पावन पर्व पर राजपूत दरबार ने ही ग्रमीणों के साथ भाईचारा बढ़ाने के लिए इस खेल को खेलने की पहल की थी। हाड़ौती का यह खेल और बरूंधन गांव की परम्परा आज भी उतनी ही खुशी से निभाई जा रही है।

Facebook Comments
Damini Singh

Share
Published by
Damini Singh

Recent Posts

सनबर्न ने छुटकारा दिलाता है बर्फ, जानिए चेहरे पर इसका इस्तेमाल कैसे करें

Benefits Of Ice On Face In Hindi: चेहरे को सुंदर बनाने के लिए लोग तरह-तरह…

2 days ago

इस खास तरीके से बनाएं होम मेड स्प्रिंग रोल शीट, रखें अपनी सेहत का ध्यान

Spring Roll Sheets Recipe in Hindi: स्प्रिंग रोल हर एक आयु वर्ग के लोगों के…

3 days ago

राम रक्षा स्त्रोत के पाठ से बनेंगे सभी बिगड़े काम, जानिए इस पाठ के महत्व के बारे में

Shri Ram Raksha Strot Padhne Ke Fayde: सनातन धर्म में सभी देवी देवताओं की पूजा…

5 days ago

महाभारत काल से जुड़ा हुआ है कुरुक्षेत्र के माँ भद्रकाली पीठ, जानिए इसके इतिहास के बारे में

Famous Shakti Peeth in Haryana: इस समय पूरे देश भर मे चैत्र नवरात्रि के त्यौहार…

1 week ago