Raksha Bandhan: भारत और चीन सीमा पर चल रहे विवाद का बुरा असर दोनों देशों के व्यापार पर भी पड़ा है। जहाँ एक तरफ सीमा पर भारतीय जवानों ने मोर्चा संभाला हुआ है वहीं देश के भीतर आम नागरिकों ने चीनी सामानों को बॉयकॉट करना शुरू कर दिया है। बीते दिनों भारत सरकार ने देशभर में 59 चीनी ऐप पर भी बैन लगा दिए। इस घटना के बाद से चीन और भी ज्यादा तमतमा गया है। लेकिन भारत के नागरिकों ने चीनी सामानों का इस्तेमाल ना करने की ठान सी ली है। एबीपी न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार चीनी प्रोडक्ट्स को बॉयकॉट करने का असर अब कुछ त्योहारों पर भी पड़ने लगा है। आने वाले 3 अगस्त को देश भर में रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्यौहार मनाया जाएगा। लेकिन इस बार भाईयों की कलाई पर बहनें चीनी नहीं बल्कि देशी राखियां बांधेंगी। इसका बेहद बुरा असर चीन में राखी बनाने वाली कंपनियों पर पड़ा है। आइये आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं।
बता दें कि, भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों के बीच चल रहे विवाद को लेकर और चीन के दोगले रवैये की वजह से भारतीय लोगों में चीन के प्रति काफी आक्रोश है। इस वजह से अब चीन को व्यापारिक स्तर पर काफी ज्यादा नुकसान भी हो रहा है। जानकारी हो कि, पहले रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के मौके पर भारत में चीन में बनाई गई राखियां बेची जाती थी। लेकिन इस बार भारतीय व्यापारियों ने चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की पूरी तैयारी कर ली है। मिली जानकारी के अनुसार इस साल बहनें अपने भाईयों की कलाई पर चीनी नहीं बल्कि अपने देश में बनी स्वदेशी राखियां बांधेंगी। भाई और बहन के अटूट प्यार और विश्वास का पर्व रक्षाबंधन आने वाले 3 अगस्त को पूरे भारत में मनाया जाएगा। इस मौके पर मार्केट में फैंसी राखियों की बहार होती है ,जो आमतौर पर चीन से आती है। लेकिन इस साल भाइयों की कलाईयों पर बहनें भारतीय डोर ही बाँधेगीं। जानकारी हो कि, इस साल करीबन सात करोड़ से भी ज्यादा भारतीय व्यापारियों ने चीन में बनी राखियों को ना बेचने का फैसला लिया है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि, इस साल भारतीय व्यापारियों ने चीन से हज़ार करोड़ के राखियों के आर्डर को कैंसिल कर दिया है। अब इसकी जगह पर देश के व्यापारी यहाँ पर बनने वाली राखियों को बेचेंगे। आपको बता दें कि, भारतीय व्यापारियों द्वारा उठाए गए इस कदम से ना केवल चीन को हज़ारों करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है बल्कि इससे देश में रोजगार में भी काफी वृद्धि होगी। चीनी राखियों की जगह अब भारत खुद ही राखियां बनाएगा। गौरतलब है कि, चीनी सामानों को बॉयकॉट करने के लिए फेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने चीन के खिलाफ एक मुहिम चलाया है। इसी के तहत इस साल चीन से राखियां ना खरीदने का फैसला लिया गया है। जानकारी हो कि, भारत के इस फैसले से चीन को करीबन चार हज़ार करोड़ रूपये का नुकसान होगा।
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इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए फेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के एक प्रवक्ता ने बताया कि, “इस रक्षाबंधन पर हम देश में बनी राखियों की बिक्री पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। इस प्रयास से देश में हज़ारों बेरोजगारों को रोजगार भी मिलेगी और आत्मनिर्भर भारत को भी काफी बढ़ावा मिलेगा।”
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