Paneer Village: अमूमन लोग काम की तलाश में रोजी रोटी का जुगाड़ करने अपने पैतृक गांव को छोड़कर बाहर चले जाते हैं। ऐसे में उन्हें अपनों से भी दूर होना पड़ता है। स्कूपव्हूप की एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसा ही कुछ मसूरी के पास टिहरी(Tehri Garhwal) जिले के रौतु में बेली गांव के लोगों के साथ भी हो रहा था। जब गांव में रोजगार का कोई अवसर नहीं मिला तो लोगों ने वहां से पलायन करना शुरू कर दिया। लेकिन यहाँ के लोगों की किस्मत कुछ ऐसी चमकी की उन्हें कहीं जानें की जरुरत नहीं पड़ी। आइये जानते हैं क्या है पनीर गांव की कहानी।
गांव के लोगों ने मेहनत और लगन से चुनौतियों को अवसर में बदला


मसूरी के लोगों का पसंदीदा है इस गांव का बना पनीर


खासतौर से मसूरी के लोगों को इस गांव के लोगों के हाथों का बना पनीर(Paneer Village) बेहद पसंद आता है। यही कारण है कि, यहाँ धीरे-धीरे पनीर की मांग काफी बढ़ने लगी और इससे गांव वालों को रोजगार भी मिलने लगा। पहले गांव के कुछ ही 40 से 50 परिवार ही पनीर बनाने का काम करते थे लेकिन अब अमूमन हर परिवार इसी बिजनेस में लिप्त है। एक परिवार एक दिन में दो से चार किलो तक पनीर तैयार कर लेता है। इसे मार्केट में बेचकर उन्हें अच्छी आमदनी होती है, एक किलो पनीर लगभग 250 रूपये का बिकता है