वर्तमान में कई ऐसी सरकारी कंपनियां हैं जिनका या तो रणनीतिक विनिवेश हुआ है या फिर वो बंद हो गई हैं। ऐसी कम्पनियों या सरकारी एजेंसियों, इनकी खाली पड़ी जमीन, भवन और संपत्तियों को बेचकर सरकार पैसे जुटाएगी। इस काम के लिए केंद्र सरकार ने एक नई कंपनी राष्ट्रीय भूमि मौद्रीकरण निगम (एनएलएमसी) तैयार कर ली है। इस कंपनी पर पूरी तरह से सरकार का मालिकाना हक होगा। वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में पहली बार इस तरह से संपत्तियों की बिक्री का प्रस्ताव रखा गया था।
6 लाख करोड़ तक जुटने की उम्मीद
इस साल आम बजट पेश करने से एक दिन पहले पेश किये गए आर्थिक सर्वे में राष्ट्रीय भूमि मौद्रीकरण निगम (एनएलएमसी) के गठन का जिक्र किया गया था। राष्ट्रीय भूमि मौद्रीकरण निगम (एनएलएमसी) सरकार के मोनेटाइजेशन कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में मदद के साथ तकनीकी सलाह भी देगा। एनएलएमसी को अब तक केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की 3,400 एकड़ जमीन और अन्य एसेट की बिक्री के प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं। एमटीएनएल, बीएसएनएल, बीपीसीएल, बीएंडआर, बीईएमएल, एचएमटी लिमिटेड और इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड जैसी सरकारी कंपनियों ने भी इसे अपनी संपत्तियों के ब्योरे भेजे हैं।इनमें करीब 83 फीसदी संपत्ति सड़क, रेलवे, बिजली, तेल और गैस पाइपलाइन और दूरसंचार क्षेत्रों की हैं।
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आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021-22 से लेकर 2024-25 तक इन संपत्तियों की बिक्री से 6 लाख करोड़ रुपये तक जुटाए जाने की उम्मीद है।