कोरोना वायरस को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है। भारत अब जल्द कोरोना वायरस को खत्म करने वाली दवा बनाने जा रहा है। हैदराबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (IICT) में मौजूद किलो लैब में कोरोना वायरस को खत्म करने वाली दवा बनाने की तैयारी की जा रही है। बता दें कि 10 करोड़ रुपए में तैयार की गई हैदराबाद की किलो-लैब, दुनिया की सबसे आधुनिक प्रयोगशालाओं में से एक है। IICT की किलो-लैब में साइंटिस्ट तीन शिफ्टों में काम कर रहे हैं। इन वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के लिए Favipiravir, Remidisivir और Bolaxavir नाम के तीन केमिकल की पहचान कर ली है।
जेनेरिक दवा लाने की योजना
कोरोना वायरस के खत्म करने वाली कारगार दवा पर पूरी दुनिया में रिसर्च की जा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि जब ये दवा बाजार में आएगी तो उसकी कीमत आसमान छुएगी। लेकिन भारत इससे एक दम अलग सोच रहा है। भारत में इस दवा को बनाने और उसे जेनेरिक दवा की तरह बाजार में लाने पर काम चल रहा है। Favipiravir और Remidisivir केमिकल का चीन में लगभग 1000 मरीजों पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से क्लीनिकल ट्रायल हो चुका है जिसके नतीजे भी बेहतर आए हैं. IICT और CIPLA मिलकर इन तीनों केमिकल के एक्टिव फार्मा मॉलिक्यूल तैयार कर रहे हैं। इसके बाद सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन से इजाजत मिलते ही यह जेनेरिक दवा की तरह बाजार में लाई जाएंगी।
एचआईवी की भी बनाई थी दवा
आपको बता दें कि हैदराबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. एस. चंद्रशेखर ने 1989 से पहले एचआईवी की दवा की कीमत के बारे में बताया। उन्होंने बता कि 1989 तक एचआईवी की दवाओं की कीमत आसमान छू रही थीं। लेकिन IICT ने अपने रिसर्च के जरिए इसकी जेनेरिक दवा का निर्माण किया। अब IICT कोरोना वायरस की दवा बनाकर इसका जेनेरिक वर्जन बाजार में उतारने के लिए जल्द तैयार हो जाएगा।
इन फ्लू के समय से ही हो रहा शोध
गौर करने वाली बात यह है कि Favipiravir, Remidisivir और Bolaxavir केमिकल की खोज तब ही हो गई थी जब इबोला, स्वाइन फ्लू और बर्ड फ्लू जैसे संक्रमण फैले थे। इन फ्लू के लिए उस समय दवाएं खोजी जा रही थीं लेकिन प्रारंभिक क्लीनिकल ट्रायल के कारण इन पर काम होना रुक गया। कोरोना वायरस के आने के बाद इन तीनों केमिकल्स पर फिस से दोबारा काम शुरू किया जा रहा है। अब तक परीक्षण के परिणाम सकरात्मक पाए गए हैैं। लेकिन दवा बनाने के लिए इनको ठोस यानी मॉलीक्यूल रूप देना अभी बाकी है। IICT की टीम इन्हीं केमिकल्स को मॉलिक्यूल करने के काम में जुटी है। एक बार ये सफल हो जाए तो कोरोना वायरस को खत्म करने वाली दवा, जल्द बाजार में मौजूद होंगी।