Fake Sanitizer: देशभर में कोरोनावायरस का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में शुरूआत से अब तक एक ही बात कही जा रही है कि आपकी सेफ्टी आपके हाथ में है। कोरोना के इस काल से बचने के लिए हाथों को बार-बार धोना और सैनिटाइज़र लगाना एक अनिवार्य नियम बन गया है। महामारी के इस मुश्किल वक्त में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो चंद पैसों के लालच में अपने फायदे के लिए आपको नकली सैनिटाइज़र बेच रहे हैं। पिछले तीन महीनों से सैनिटाइज़र की मांग में बढ़ोत्तरी होने के बाद इसकी धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। मुनाफेखोर अपने फायदे के लिए ग्राहकों को विषैले मिथेनॉल से बने हैंड सैनिटाइज़र बेच रहे हैं, जो आपको बीमारी से बचाने की जगह और बीमार बना रहा है।
सीबीआई ने जारी किया अलर्ट
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई (CBI) से जो जानकारी प्राप्त हुई है, उसके आधार पर देशभर की पुलिस और कानून लागू करने वाली एजेंसियों को अलर्ट जारी किया गया है। इस मामले में सीबीआई ने पहली बार अलर्ट जारी किया है। सीबीआई के मुताबिक, देशभर में ऐसे सैनिटाइज़रों को बेचा जा रहा है जो काफी हार्ड हैं और जिसमें विषैले मिथेनॉल का अधिक मात्रा में उपयोग किया गया है। यह कैमिकल इंसानों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है।
मार्केट में बिक रहे विषैले सैनिटाइज़र
वहीं मार्केट में कई ऐसे सैनिटाइज़र्स भी मौजूद हैं जिसमें मुनाफेखोर सैनिटाइज़र के नाम पर खाली बोतलों में रबिंग अल्कोहल में डिटर्जेंट घोल कर बेच रहे हैं। मार्केट में सैनिटाइज़र के दाम इस समय आसमान छू रहे हैं। ऐसे में सही और क्वालिटी वाले सैनिटाइज़र का पता लगाना बेहद मुश्किल हो रहा है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि कम मिथेनॉल, अच्छी क्वालिटी और असली सैनिटाइज़र की पहचान कैसे की जाए? इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैैं कि आप सही सैनिटाइज़र की पहचान कैसे कर सकते हैं।
कैसे खरीदें सही सैनिटाइजर?
आप जब भी सैनिटाइज़र का इस्तेमास करते हैं तो हाथ में ठंडापन सा लगता हैै। इसी के साथ सैनिटाइज़र हाथ पर लगाते ही उड़ जाता है और हाथ सूख जाते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसमें आइसो प्रोफाइल एल्कोहल और इथाइल एल्कोहल मौजूद होने के कारण सैनिटाइज़र उड़ जाता है। हर सैनिटाइज़र में एल्कोहल की मात्रा अलग-अलग होती है। यह हॉस्पिटल, फैक्ट्री और घर के हिसाब से सेट की जाती है। घरों में 50 %, फैक्ट्रियों में 70 से 80% और हॉस्पिटल्स में 70% मात्रा वाला एल्कोहल डाला जाता है।
- चाहे जैल सैनिटाइज़र हो या लीक्विड, सैनिटाइज़र हाथों पर लगाने पर यदि यह उड़ जाता है और ठंडापन महसूस होता है तो समझ जाइए कि ये सैनिटाइज़र असली है।
- नकली सैनिटाइज़र आपके हाथों पर लगते ही सूखता नहीं है। हो सकता है कि आपके हाथों में जलन या खुजली भी हो जाए।
- हो सके तो ब्रांडेड सैनिटाइज़र का ही इस्तेमाल करें। 99.9% किटाणु मारने वाले सैनिटाइज़र का लाइसेंस नंबर ज़रूर चेक कर लें।
- मार्केट में दूसरी कंपनियों के कई सैनिटाइज़र भी मौजूद हैं, इन्हें खरीदने से पहले इनका लाइसेंस नंबर अवश्य चेक कर लें। अगर सैनिटाइज़र पर लाइसेंस नंबर न लिखा हो तो ये नकली सैनिटाइज़र है।
- एक अच्छे हैंड सैनिटाइज़र में कम से कम 60 से 70% अल्कोहल मौजूद होता है। ऐसे सैनिटाइज़र कोरोनावायरस से लड़ने में आपकी मदद कर सकते हैं।
- अगर आप दूसरी कंपनी का सैनिटाइज़र खरीद रहे हैं तो विक्रेता से सैनिटाइज़र का सर्टिफिकेशन दिखाने को कहें। जो भी कैमिकल बाज़ार में बिकता है सरकार उसे लैब में टेस्टिंग करके उसे मान्यता देती है। सैनिटाइज़र जिस भी कंपनी का है विक्रेता के पास उसका सर्टिफिकेट होना आवश्यक है।
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नोट: अगर आपको किसी सैनिटाइज़र या नकली सैनिटाइज़र बेचने वाले विक्रेताओं पर शक है तो आप इस नंबर पर 0120-2829040 शिकायत दर्ज करा सकते हैं।