Corona Virus: चीन के वुहान शहर से शुरू होने वाला कोरोना वायरस ने धीरे-धीरे इंडिया में भी लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। बीते दिनों अचानक से दिल्ली सहित आस पास के इलाकों में इस नोवेल कोरोना वायरस के कई संदिग्धों की पहचान की गई है। इसके तहत दिल्ली सरकार ने भी लोगों को इस खतरनाक वायरस से बचने के कुछ गाइडलाइन्स जारी किए हैं। राजधानी दिल्ली के डिप्टी चीफ मिनिस्टर श्री मनीष सिसोदिया ने लोगों में जागरूकता फैलाते हुए कहा है कि “इस खतरनाक वायरस से घबराएं नहीं बल्कि अपनी साफ़ सफाई का ध्यान रखें।”
इस वायरस से बचाव ही आपकी सुरक्षा है, इस संदर्भ में ये भी सुनने में आ रहा है कि, बहती नाक कोरोना वायरस का मुख्य लक्षण है। लेकिन केवल यही इसका मुख्य लक्षण नहीं है बल्कि इसके साथ ही साथ और भी बहुत से ऐसे तथ्य हैं जिनका ध्यान रखना काफी आवश्यक है। आइये जानते हैं इससे जुड़े कुछ मुख्य तथ्यों को।
कोरोना वायरस के बारे में आजकल सोशल मीडिया और अन्य विभिन्न माध्यमों से लोगों में जागरूकता फैलाने का काम किया जा रहा है। हाथों को बार-बार साफ़ करना, किसी अन्य व्यक्ति के ज्यादा करीब ना आना, बार-बार आँख, नाक और मुँह को ना छूना जैसे गाइडलाइन्स के बारे में आपके पास हज़ारों मैसेज आए होंगें। कोरोना वायरस से जुड़े इनमें से कुछ तथ्य जहाँ सही हैं वहीं कुछ केवल लोगों में डर फैलाने के लिए भी जारी किये जा रहे हैं। राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस के अबतक करीबन 31 केस आ चुके हैं, इस वजह से भी लोगों में डर का माहौल बना हुआ है। लेकिन डरने से बेहतर हैं इसके बारे में सही जानकारी हासिल करना।
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, 80 प्रतिशत लोगों में कोरोना वायरस के फैलने का कारण है, इससे पीड़ित मरीजों के संपर्क में आना। चूंकि यह एक संक्रामक वायरस है, इसलिए इससे पीड़ित मरीजों के संपर्क में आने से आप भी इसके शिकार हो सकते हैं।
भारत में नाक बहना कोरोना वायरस का प्रमुख लक्षण बताया जा रहा है। जबकि तथ्यों पर ध्यान दें तो इसके प्रमुख लक्षणों में बुखार, खांसी, थकान, डाईरिया, सिरदर्द और ठंड लगना प्रमुख है। इसलिए अफ़वाहों पर ध्यान ना दें बल्कि इसके लक्षणों को जानें और इससे बचने का प्रयास करें। सिर्फ नाक बहना नॉर्मल सर्दी जुखाम के लक्षण भी हो सकते हैं।
कोरोना वायरस को इसलिए खतरनाक माना जा रहा है क्योंकि इसका कोई इलाज नहीं है। आपको बता दें कि, भले ही इसका कोई इलाज ना हो लेकिन ये किसी व्यक्ति को होने के बाद अपने आप ठीक भी हो जाता है। इस वायरस से होने वाली मृत्यु दर महज 2 प्रतिशत है, जो कि इबोला, स्वाइन फ्लू और सार्स जैसे वायरस से कई गुणा कम है।
जिन लोगों में इम्युनिटी की कमी है उन्हें इस वायरस से ज्यादा खतरा है। इसलिए इसका प्रभाव सबसे ज्यादा बुजुर्गों और छोटे बच्चों पर ज्यादा पड़ सकता है।
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