PCOD Kya Hai: महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी एक समस्या आजकल बहुत ही तेजी से बढ़ रही है जिसे हम पीसीओडी(PCOD) के नाम से जानते हैं। इस पीसीओडी(PCOD) नामक बीमारी के कारण जिसे पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसीज(Polycystic Ovary Syndrome) कहा जाता है वह महिलाओं के शरीर और मानसिक स्वास्थ्य को बहुत ही हानि पहुंचाती है। जैसे ही यह समस्या महिलाओं के शरीर के अंदर होने लगती है उन्हें थकान और तनाव बहुत ज्यादा महसूस होने लगता है। उनके पीरियड भी डिस्टर्ब हो जाते हैं।
पीसीओडी(PCOD) बीमारी के कारण उनमें काफी सारे हार्मोनल चेंजेज होते हैं जिसकी वजह से दूसरी बीमारियां भी उनके शरीर में घर करने लगती हैं। जिस महिला को पीसीओडी(PCOD) की दिक्कत होती है उसे मां बनने में भी काफी दिक्कतें आती है। आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण के बारे में और कैसे इस बीमारी से हम बच सकते हैं।
जैसे हम पीसीओडी(PCOD) बीमारी के नाम के बारे में सुनते हैं बहुत सारे सवाल हमारे मन में खड़े हो जाते हैं। जैसे कि पीसीओडी क्या होता(PCOD Kya Hai) है, पीसीओडी के लक्षण(PCOD Ke Lakshan) क्या है, पीसीओडी के कारण(PCOD Ke Karan) क्या होते हैं। सबसे अहम सवाल जो हमारे मन में खड़ा होता है कि पीसीओडी को खत्म करने के लिए क्या उपाय(PCOD Ko Khatm Karne Ke Upay in Hindi) हैं।
पीसीओडी क्या होता है(PCOD Kya Hai)
इस बीमारी से जुड़ी हुई कोई भी एक मुख्य वजह अभी तक सामने नहीं आ पाई है कि यह बीमारी किस वजह से होती है। लेकिन एक बात जरूर है कि हमारे रहन सहन और खान पीन की गड़बड़ी के वजह से यह बीमारी हमारे शरीर में घर करने लगती हैं। एक्सपर्ट कहते हैं कि जिस तेजी से हमारे जीवन में तनाव और बदलाव बढ़ रहा है हमारे लाइफ़स्टाइल बदल रहा है उसी की वजह से हमारे शरीर में पीसीओडी(PCOD) बीमारी भी बढ़ने लगती है। तनाव के बढ़ने के कारण और लाइफ़स्टाइल बदलने के कारण हमारे शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक(Biological Clock) पूरी तरह से गड़बड़ा जाती है।
आज के समय के लाइफस्टाइल के मुताबिक हर इंसान देर रात तक जगता है और दिन में सोता है। यह तो एक आम बात हो गई है। जबकि ऐसा करना हमारे शरीर के लिए बहुत ही नुकसानदायक है। इससे हमारे शरीर के हारमोंस बुरी तरह से प्रभावित होता है। यही वजह है कि पीसीओडी बीमारी के साथ-साथ मोटापा और डिप्रेशन भी हमारे शरीर में बढ़ने लगता है।
जैसे-जैसे हमारी लाइफस्टाइल बदल रही है महिलाओं के शौक भी बदलते जा रहे हैं। आजकल ज्यादातर महिलाएं स्मोकिंग और एल्कोहल का सेवन करने लगी है जिसकी वजह से वह पीसीओडी बीमारी को निमंत्रण भी देती हैं। स्मोकिंग और अल्कोहल की वजह से महिलाओं के शरीर में हारमोंस का स्तर पूरी तरह से खराब हो जाता है।
पीसीओडी के लक्षण क्या होते हैं(PCOD Ke Lakshan)
पहले हम यह देखते थे कि जब लेट उम्र में शादी होती थी तो पीसीओडी की समस्या महिलाओं के अंदर आने लगती थी लेकिन अब तो टीनएजर लड़कियों को भी इस दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। हर लड़की और महिला के पीसीओडी के लक्षण(PCOD Ke Lakshan) एक जैसे नहीं होते हैं। किसी के चेहरे पर बाल आने की समस्या हो जाती है तो किसी के अन्य अंगों पर बाल आने लगते हैं। किसी किसी को पीरियड के समय बहुत ज्यादा दर्द होने और बिल्डिंग की समस्या होने लगती है। अगर यह दोनों समस्या एक साथ है इनमें से कोई भी समस्या ज्यादा मात्रा में होती है तो समझ लीजिए कि हो सकता है उस महिला या लड़की को पीसीओडी(PCOD) हो।
पीसीओडी में किसी किसी महिलाओं को समय पर पीरियड नहीं भी आते हैं और किसी किसी के पीरियड्स तो तीन चार महीने में एक बार भी आते हैं। पीरियड का समय पर ना आना पीसीओडी का मुख्य लक्षण(PCOD Ke Lakshan) माना जाता है। अगर किसी महिलाओं को पीरियड समय पर नहीं आता है और यह समस्या अचानक से शुरू हो गई है तो उन्हें डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) तीन प्रकार के होते हैं
इंसुलिन रेजिस्टेंट पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (Insulin Resistant PCOS)
इम्यून से संबंधित पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (Immune Related PCOS)
गर्भ निरोधक दवाइयों के कारण पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (Due To Oral Contraceptine Pills)
पीसीओडी खत्म करने के उपाय(PCOD Ko Khatm Karne Ke Upay In Hindi)
अगर आप भी चाहते हैं कि आपके अंदर की पीसीओडी(PCOD) बीमारी पूरी तरह से खत्म हो जाए तो सबसे पहले आपको तेलिया एवं मीठे भोजन का त्याग करना होगा। अधिक से अधिक फलों एवं सब्जियों का सेवन करें। जंक फूड और बाहर के खाने को पूरी तरह से बंद करना होगा।
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एक बात का आप को सबसे ज्यादा ध्यान देना है कि आपको अपने जीवन से तनाव को निकालना होगा और रोज व्यायाम करना होगा। योगासन से हम असंतुलित हार्मोन के स्तर को संतुलित कर सकते हैं। अतः प्रतिदिन आपको योगा करना होगा जिससे आपको पीसीओडी बीमारी में बहुत ही मदद मिलेगी।