Himalayan Berry Benefits in Hindi: भारत में औषधियां काफी पुराने समय से प्रचलन में है। बता दें कि औषधियां प्राचीन काल से ही अस्तित्व में है। औषधियां सेहत के लिए फायदेमंद होती तो हैं ही साथ ही वह सेहत को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाती हैं। आपने संजीवनी बूटी के बारे में तो सुना ही होगा। जब रावण से युद्ध के दैरान लक्ष्मण बेहोश हो गए थे तब उनको सचेत करने के लिए हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर के आए थे।
पौराणिक कथाओं में संजीवनी बूटी का उल्लेख देखने को मिलता है। आज हम आपको उसी संजीवनी बूटी के बारे में बताएंगे। बता दें कि ये संजीवनी बूटी हिमालयन बेरी के नाम से जानी जाती है। अंग्रेजी में इसे सी-बकथॉर्न फ्रूट के नाम से जाना जाता है। यह बेरी लेह लद्दाख में सिंधु नदी के आसपास कांटेदार झाड़ियों में पाई जाती है। प्राचीन काल में इसे संजीवनी बूटी के नाम से जाना जाता था।
चिकित्सा कार्यों में होता है हिमालयन बेरी का इस्तेमाल

बता दें कि ये जो हिमालयन बेरी है, वह एक वनस्पति है और इसका उपयोग चिकित्सा के कार्यों में किया जाता है। हिमालयन बेरी का वैज्ञानिक नाम ‘सेलाजिनेला ब्राहपटेसिस’ है। इस औषधि की उत्पत्ति की बात करें तो ऐसा माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति लगभग तीस अरब वर्ष पहले कार्बोनिफेरस युग में हुई थी। यह बेरी औषधीय गुणों से भरपूर है। इस बेरी की पत्तियां, फल-फूल और बीज सभी का काम दवाओं के बनाने में किया जाता है। जैसा कि इसके नाम से ही पता लगता है कि यह एक रसीला फल है।
इस बेरी में ओमेगा 3, 8 और 9, फैटी एसिड पाये जाते हैं। यह एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। बता दें इस बेरी का प्रयोग चीनी वासी सदियों से दवाओं को बनाने में कर रहे हैं। यह स्वाद में खट्टा और मीठा होता है। सिर्फ दवाई बनाने में ही नहीं बल्कि खाने में भी यह फल काफी स्वादिष्ट होती है। इसका प्रयोग दवाओं के अलावा वजन कम करने के लिए भी किया जाता है। इसमें 428 प्रकार के पोषक तत्वों और सक्रिय पदार्थों के कारण इसे ‘पोषण चिकित्सा खज़ाना’ भी कहा जाता है।
बता दें कि पहाड़ी स्थानों पर ऑक्सीजन की कमी होती है और लेह लद्दाख और सिन्धु नदी के आसपास का तापमान बहुत ही कम यानि कि -35 डिग्री से -40 डिग्री तक होता है। जिस वजह से यहां पर ऑक्सीजन की खासी कमी होती है, लेकिन हिमालयन बेरी में भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन पाया जाता है और इसके सेवन से ही वहां पर रहने वाले लोग अपने शरीर में ऑक्सीजन की कमी को पूरा करते हैं। बता दें कि इस बेरी का सिर्फ फल ही नहीं बल्कि इसका जूस, बीज, पत्ते तथा इसकी झाड़ियां भी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं।
हिमालयन बेरी के औषधीय गुण

- यह औषधि हर उम्र के लोगों के लिए लाभदायी है। इस बेरी में एस्कॉबिकन, फोलिक एसिड, कैरोटीनॉइड, टौनिन रूटीन (विटामिन पी), विटामिन सी, ए और ई पाये जाते हैं।
- इसमें 24 मिनरल्स और 18 एमिनो एसिड भी पाए जाते हैं, जो स्वास्थय के लिए बेहद लाभदायी हैं।
- हिमालयन बेरी एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-एजिंग और एंटी-डीसिज है। इसमें ऑक्सीजन, विटामिन एवं मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं।
- हिमालयन बेरी में और फलों की तुलना में 4 से 100 गुना अधिक विटामिन-सी पाया जाता है।
- इस बेरी का उपयोग गठिया, गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल, अल्सर, संक्रामक बीमारियों और त्वचा संबंधित बीमारियों में भी किया जाता है।
- यह रक्तचाप सें सुधार लाता है साथ ही कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है।
- इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है।
- हिमालयन बेरी में कैरोटीनॉयड नाम का महत्वपूर्ण एंटी-ऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो हमारी आंखों की रोशनी की भी बरकरार रखता है।
- यह शरीर में फैटी एसिड को भी कंट्रोल मे रखता है।
- इसके सेवन से हार्ट अटैक आने का खतरा कम होता है और हमारा दिल भी ठीक रहता है।
- इसका जूस रोगाणुओं और बैक्टीरिया को मारने में काफी लाभप्रद है।
- इसके प्रयोग से घाव भरते हैं साथ ही यह पेट और आंतों के संक्रमण को रोकने में लाभकारी है।
- एंटी-इन्फलेमेटरी गुणों के भरपूर होने के कारण यह जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों के दर्द को भी कम करता है।
इसके अलावा इस बेरी का जूस जुकाम, मोटापा, लीवर, ब्लड प्रेशर, दिल के रोग, सांस संबंधी रोग, मानसिक रोगों, यौन रोगों, यौन कमजोरी जैसी बीमारियों के इलाज में भी काफी लाभदायी होता है। हिमालयन बेरी के जूस का उपयोग आप प्रात: सुबह उठकर ढाई सौ मिलीमीटर पानी में डालकर करें। इसके निरंतर सेवन से आप सभी रोगों से मुक्त रहेंगे।
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