मां-बाप को सबसे बड़ी खुशी तब मिलती है जब उनके बच्चों के नाम से उन्हें जाना जाता है। वैसे तो एक बच्चे की पहचान उसके माता-पिता से होती है लेकिन जब मां-बाप को बच्चों के नाम से जाना जाता है तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता है। ऐसा ही कुछ हुआ झुंझुनू शहर के मोदी रोड पर रहने वाले सुभाष कुमावत और उनकी पत्नी राजेश्वरी देवी के साथ। आज उन दोनों की ही खुशी का कोई ठिकाना नहीं हैं। दोनों खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। उनकी इस खुशी की वजह हैं उनके बेटे। जी हां, दोनों के बेटों ने उनका नाम गर्व से ऊंचा कर दिया है। तो चलिए आपको बताते हैं सुभाष कुमावत और उनकी पत्नी राजेश्वरी देवी की कहानी।
सिलाई कर चलाते थे घर
बता दें कि सुभाष कुमावत सिलाई का काम करते थे और उनकी पत्नी राजेश्वरी देवी बंधेज बांधने का काम करती हैं। उनके घर में कुल छह लोग थे। दोनों के तीन बेटे थे और कमाई का जरिया था सिर्फ सिलाई और बंधेज का काम। लेकिन आज उनके दो बेटों ने वो काम कर दिखाया है जिसका सपना वो हमेशा से देखते आए थे। उनकी सालों की मेहनत, त्याग, तपस्या, रात भर जागकर काम करना आज सफल हो गया।
दरअसल, सुभाष कुमावत और राजेश्वरी के दो बेटों का चयन सिविल सर्विस में हुआ है। जिसके बाद से ही उनके घर में लोगों के बंधाई देने आने का तांता लगा हुआ है। सुभाष कुमावत के बड़े बेटे पंकज कुमावत ने 443वीं और उनके छोटे बेटे अमित कुमावत ने 600वीं रैंक हासिल की है। ये पहली बार है जब उनके घर में किसी की सरकारी नौकरी लगी है।
दिल्ली आईआईटी में की पढ़ाई
बता दें कि पंकज कुमावत ने आईआईटी दिल्ली से मैकेनिकल में बीटेक किया हुआ है और बीटेक करने के बाद नोएडा की एक कंपनी में नौकरी करते थे, उन्होंने अपने छोटे भाई को भी अपने पास रखा। उनके छोटे भाई ने भी दिल्ली आईआईटी से बीटेक किया हुआ है। दोनों साथ में ही इस परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। दोनों का यही सपना था कि वो आईएएस की परीक्षा पास करें और अपने मां-बाप का सिर गर्व से ऊंचा करें।
दोनों की कठिन मेहनत और लगन ने उनका सपना आज पूरा कर दिखाया है। पंकज और अमित ने अपने माता-पिता के बारे में बात करते हुए बताया कि, “हमें पता है कि हमारे माता-पिता ने हमें कैसे पढ़ाया है। हमारे लिए पढ़ना बहुत आसान था, पर हमारे माता-पिता के लिए हमें पढ़ाना बहुत मुश्किल। वह हमारी फीस, किताबें और ऐसी दूसरी चीजों का इंतजाम कैसे करते थे। इस बात को हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं। हमारी पढ़ाई के लिए हमारे माता-पिता ने बहुत संघर्ष किया है”।
अपने घर की स्थिति के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि, “हमारे घर की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। हम चार भाई बहनों को पढ़ाने के लिए हमारे माता-पिता सिलाई करते रात भर जागते, मां तुरपाई करती और पापा सिलाई करते। उन्होंने हमसे कभी भी कुछ नहीं कहा। वह हमेशा इतना ही कहते थे कि तुम लोगों को पढ़कर एक दिन बड़ा आदमी बनना है। यह सपना उन्होंने देखा हमने तो बस उनके सपने को पूरा किया है। आज हमारे परिवार की स्थिति ठीक है, लेकिन हम बस यही कहना चाहते हैं कि परेशानियों, कमियों और नकारात्मक चीजों को कभी भी सफलता के आड़े नहीं आने देना चाहिए”। इसी के साथ उन्होंने कहा कि “हमारी सफलता के लिए हमारे मां बाप बड़े-बड़े सपने देखते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए सबसे जरूरी है मेहनत, जो लोग सच्चे मन और लगन से अपने सपनों को पूरा करने के पीछे पड़ते हैं सफलता उनको जरूर हासिल होती है”।