धर्म

बेहद कठिन होता है अमावस्या के दिन जन्मे लोगों का जीवन, उम्र भर लगी रहती है कोई न कोई परेशानी

Amavasya ke din Janme Log: हिंदू धर्म में हर दिन का एक अलग महत्व होता है। हर दिन किसी भगवान से जुड़ा होता है। इसी तरह से शास्त्रों में कुछ दिनों को शुभ और अशुभ के तौर पर भी जाना जाता है। जी हां, आज हम बात कर रहे हैं अमावस्या के दिन की। इस दिन को हिंदू धर्म में किसी श्राप से कम नहीं माना जाता है। इस दिन चांद नहीं निकलता है और पूरा संसार अंधेरे में डूबा रहता है। बता दें कि दीपावली का त्यौहार भी अमावस्या के दिन ही मनाया जाता है। हालांकि, दीपावली एक बड़ा त्यौहार है लेकिन इस दिन पर यानि की अमावस्या के दिन जन्में लोगों को लेकर के ऐसी मान्यता है कि इस दिन यानि दीपावली के दिन जन्मे लोग कैसे होते हैं खुशियां नहीं मिलती हैं और उनके जीवन और घर में हमेशा ही संकट और दुखों के बादल छाए रहते हैं।

दरअसल, अमावस्या को शुभ दिन नहीं माना जाता है और कहते हैं कि इस दिन प्रेत-आत्माएं अधिक सक्रिय होती हैं। इसलिए इस दिन जन्म लिए हुए व्यक्ति को भी अशुभ और बुरे संकेत वाला माना जाता है। बता दें कि हर महीने में एक अमावस्या जरूर आती है। इस दिन चांद नहीं निकलता है जिस वजह से इसे कालरात्रि भी कहते हैं। चांद के ना निकलने और अंधेरे वाली रात होने की वजह से इसे नकारात्मक ऊर्जा के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है, जिस वजह से दीवाली के दिन जन्में लोगों की कुंडली में भी दोष बताया जाता है। ऐसे लोगों की कुंडली में सूर्य और चंद्रमा एक ही घेरे में होते हैं।

मां-पिता से मतभेद(Amavasya ke din Janme Log)

क्योंकि इस दिन जन्में लोगों की कुंडली में चंद्रमा और सूर्य दोनों एक ही घेरे में होते हैं, जिसे अशुभ माना जाता है। जानकारों की मानें तो जिन लोगों की कुंडली में सूर्य और चंद्रमा दोनों एक ही घेरे में होते हैं, उनको माता पिता का प्यार और सुख नहीं मिलता है और घर में भी हमेशा अनबन का माहौल बना रहता है। घर में सुख और शांति की कमी होती है और नकारात्मक ऊर्जा का वास ज्यादा होता है।

newstrend

अपमानित जिंदगी

ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन जन्में लोगों की कुंडली के 10वें भाग में सूर्य और चंद्र स्थित होते हैं, जिस वजह से इस दिन जन्में लोग शारीरिक रूप से काफी स्वस्थ होते हैं और बलवान होते हैं। साथ ही ये लोग हमेशा जीत हासिल करते हैं और शत्रु को पराजित करते हैं। ये सब गुण होने के बाद भी इन लोगों को जिंदगी में कभी भी सम्मान नहीं मिलता है और हमेशा अपमानित जिंदगी जीते हैं। ऐसे व्यक्ति जीवन भर अपनी संतान और घर की स्त्रियों से अपमानित होते रहते हैं।

सोमवती अमावस्या

बता दें कि यदि कोई अमावस्या दोम्वर वाले दिन पड़ती है, तो उसे सोमवती अवस्या के नाम से जाना जाता है। इस अमावस्या का अपना अलग महत्व होता है। सोमवती अमावस्या साल में दो बार आती है। हालांकि सभी अमावस्या को अशुभ माना जाता है लेकिन हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का काफी महत्व होता है।

सोमवती अमावस्या को लेकर के लोगों की ऐसी मान्यता है कि यदि इस दिन कोई स्त्री अपने पति के लिए व्रत रखती है तो उसके पति की उम्र बढ़ती है। सोमवती अमावस्या के दिन रखा जाने वाला ये व्रत काफी फलदायी होता है और सफल भी होता है। इतना ही नहीं यदि इस दिन मौन व्रत धारण करके व्रत किया जाए तो इसका फल गोदान के बराबर माना जाता है। सोमवती अमावस्या को लेकर एक कथा काफी प्रचलित है।

अमावस्या के दिन जन्मे बच्चे कैसे होते हैं

कहा जाता है कि एक समय में एक ब्राह्मण परिवार था। उनके घर एक पुत्री ने जन्म लिया था। समय के साथ-साथ पुत्री बड़ी हो रही थी वहीं उसके स्त्रियोचित गुणों का विकास हो रहा था। लोगों के अनुसार वह लड़की दिखने में बेहद सुंदर थी और साथ ही महागुणी थी लेकिन इस सब के बावजूद भी उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। एक दिन उनके घर एक साधू आए। उन्होंने साधू को भोजन करवाया और खूब सेवा की। साधू उस परिवार की सेवा भक्ति देख कर काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने कन्या को लंबी आयु का आशीर्वाद दिया। लेकिन जब उन्होंने उस लड़की की हथेली देखी तो वहां उन्हें उसके विवाह की रेखा नहीं मिली। जिसका उपाय पूछने पर साधू ने बताया कि कुछ दूरी पर एक गांव में सोना नाम की एक धोबी जाति की स्त्री अपने बहु और बेटे के साथ रहती है। साधू के अनुसार वह स्त्री बेहद संस्कारी है और उसका पति परायण है। यदि वह स्त्री उनकी लड़की की सेवा भाव से प्रसन्न होकर लड़की की शादी में अपनी मांग का सिन्दूर लगा दे तो लड़की का ना शादी करने का योग मिट सकता है।

और पढ़े: 

Amavasya ke din Janme Log: साधू के अनुसार वह धोबिन हमेशा घर में रहती थी और बाहर नहीं आती जाती थी। साधू के कहानुसार कन्या को धोबिन की सेवा के लिए उस गांव में भेज दिया गया। कन्या सुबह तड़के धोबिन के घर जाकर चुप चाप घर के सारे काम कर आती। जब धोबिन ने अपनी बहु से सुबह होने वाली सफाई का पूछा तो बहु ने बताया कि वह खुद नहीं जानती कि आखिर इतनी सुबह काम कौन करता है? ऐसे में धोबिन ने घर की निगरानी शुरू कर दी। जिसके बाद उसे पता चला कि एक कन्या सुबह सवेरे उनके घर का काम करने आती है और फिर चुपके से वापिस लौट जाती है। धोबिन ने उस कन्या को रोक कर सारी सच्चाई जानी और उसकी शादी में अपनी मांग का सिन्दूर लगाने की हामी भर दी।

जैसे ही कन्या की मांग में धोबिन ने सिंदूर लगाया तो उसका अपना पति मर गया। जब धोबिन को पति की मृत्यु की ख़बर मिली तो वह घर से निरजल निकल पड़ी और रास्ते में पीपल के पेड़ को भंवरी देने के बाद उसने जल ग्रहण किया। कहा जाता है कि उस दिन सोमवार की अमावस्या थी। जैसे ही धोबिन ने 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा ख़त्म करके जल ग्रहण किया, उसका मृत पति जाग उठा। तब से लेकर आज तक सोमवार की अमावस्या प्रचलित है।

दोस्तों, उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा। पसंद आने पर लाइक और शेयर करना न भूलें।

Facebook Comments
Shikha Yadav

Recent Posts

सनबर्न ने छुटकारा दिलाता है बर्फ, जानिए चेहरे पर इसका इस्तेमाल कैसे करें

Benefits Of Ice On Face In Hindi: चेहरे को सुंदर बनाने के लिए लोग तरह-तरह…

3 days ago

इस खास तरीके से बनाएं होम मेड स्प्रिंग रोल शीट, रखें अपनी सेहत का ध्यान

Spring Roll Sheets Recipe in Hindi: स्प्रिंग रोल हर एक आयु वर्ग के लोगों के…

4 days ago

राम रक्षा स्त्रोत के पाठ से बनेंगे सभी बिगड़े काम, जानिए इस पाठ के महत्व के बारे में

Shri Ram Raksha Strot Padhne Ke Fayde: सनातन धर्म में सभी देवी देवताओं की पूजा…

6 days ago

महाभारत काल से जुड़ा हुआ है कुरुक्षेत्र के माँ भद्रकाली पीठ, जानिए इसके इतिहास के बारे में

Famous Shakti Peeth in Haryana: इस समय पूरे देश भर मे चैत्र नवरात्रि के त्यौहार…

2 weeks ago