भाई दूज का पर्व भाई बहन के रिश्ते को और सदृढ़ बनाता है। भाई दूज का त्यौहार दिवाली के दो दिन के बाद मनाया जाता है जिसमे बहन अपने भाई की लम्बी उम्र के लिए प्राथर्ना करती है। इस त्यौहार से भाई दूज की एक पौराणिक कथा (Bhai Dooj Katha) जुडी हुई है ।
इस पर्व का मूल उद्देश्य बहन और भाई के पावन रिश्ते को मजबूत बनाना है। इस दिन बहने बेरी पूजन भी करती हैं। भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी दीर्घ आयु की मनोकामना करती हैं। भाई दूज पर बहन को अपने भाई को चावल खिलाने चाहिए|
तिथि: 9 नवंबर
भाई दूज की कथा (Bhai Dooj Katha)
भगवन सूर्य नारायण की पत्नी छाया थी और उन्होंने यमराज और यमुना को जन्म दिया। यमुना अपने भाई से बहुत स्नेह करती थी और अक्सर यमराज से निवेदन करती कि वह अपने इष्ट देवताओं के साथ भोजन पर आएं। यमराज अपने व्यस्त कार्यों की वजह से अक्सर अपनी बहन को टाल देते ।
एक दिन कार्तिक शुक्ल का दिन आया और यमुना ने यमराज को अपने घर खाने पर आने के लिए वचनबद्ध कर दिया। यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणहर्ता हूँ इसलिए मुझे कोई भी अपने घर बुलाना नहीं चाहता और अगर मेरी बहन मुझे बुला रही है तो मुझे ज़रूर जाना चाहिए। बहन के घर जाते समय यमराज ने नर्क लोक के जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर देख यमुना की ख़ुशी का ठिकाना न रहा और उसने पूजा कर भाई को स्वादिष्ट व्यंजन खिलाये। यमुना द्वारा किये गए आतिथ्य से खुश होकर यमराज ने उसे वर मांगने को कहा।

यमुना ने कहा कि आप प्रतिदिन इसी दिन मेरे घर आया करो और अगर कोई बहन इसी तरह अपने भाई का आदर सत्कार और टीका करे तो उसके भाई कि लम्बी उम्र हो। यमराज ने तथास्तु बोलकर उसकी मनोकामना पूर्ण की और यमुना को अपने अमूल्य वस्त्र देकर यमलोक को रवाना हो गए। तब से ही ये प्रथा चली आ रही है और समस्त भारत में इसे बहुत हर्षोल्लास से मनाया जाता है।