इस वर्ष दिवाली का त्यौहार 4 नवंबर गुरूवारके दिन है माँ लक्ष्मी के पूजन की सामग्री अपने सामर्थ्य के अनुसार ले। कुछ वस्तुए है जिनका प्रयोग करने से देवी शीघ्र प्रसन्न होती हैं। माँ को वस्त्र में लाल-गुलाबी या पीले रंग का रेशमी बहुत प्रिय है। पुष्प में कमल व गुलाब प्रिय है। फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े प्रिय हैं। सुगंध में गुलाब, चंदन के इत्र का प्रयोग इनकी पूजा में अवश्य करें।
लक्ष्मी पूजा विधि(Lakshmi Diwali Puja Vidhi)
सबसे पहले चौकी पर माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखे कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। लक्ष्मी जी की मूर्ति को गणेश जी के दाहिनी ओर रखे। कलश को लक्ष्मी जी के पास चावल पर रख दे। नारियल को लाल वस्त्र में लपेट कर कलश के ऊपर रख दे। दो बड़े दीपक जलाये। इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेश जी और गौरी की पूजा करे। पूरी प्रक्रिया मौलि लेकर भगवान गणेश, माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती को अर्पण करे और इसके बाद अपने हाथ पर भी बंधवा ले। अब सभी देवी देवताओ को तिलक लगाए। इसके बाद माँ लक्ष्मी की पूजा करे, माँ को भोग लगाकर उनकी आरती करे। इस तरह आपकी पूजा पूर्ण होती है।
पूजा पूरी होने के बाद माँ से क्षमा-प्रार्थना करें।
मां न मैं पूजा-कर्म करना जानता हूँ, न विसर्जन करना। आह्वान करना भी मैं नहीं जानता। हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 4 नवंबर 2021 गुरूवार (Diwali Puja Muhurat)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 6:09pm से 8:04pm
प्रदोष काल – 5:27pm से 8:06pm
वृषभ काल – 5:57pm से 7:53pm
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गणेश जी की आरती (Ganesh Aarti in Hindi)
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एक दंत दयावंत चार भुजाधारी। माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुवन का भोग लगे, संत करे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
सुर श्याम शरण आये सफल कीजे सेवा।। जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
लक्ष्मीजी की आरती (Lakshmi Aarti in Hindi)
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
दुर्गारूप निरंजन, सुख संपत्ति दाता जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
शुभ गुण मंदिर, सुंदर क्षीरनिधि जाता रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता उर आंनद समाता, पाप उतर जाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
स्थिर चर जगत बचावै, कर्म प्रेर ल्याता तेरा भगत मैया जी की शुभ दृष्टि पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता, तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….