Golden Temple History In Hindi: जब भी सभी धर्मों की आस्था की बात होती है तो सबके सामने अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर का दृश्य जरूर आता है। हर रोज़ लाखों लोगों को लंगर खिलाने वाला यह मंदिर वास्तव में अपने आप में एक अलग ही स्थान रखता है। इस मंदिर के नाम से ही पता चलता है कि यह मंदिर कई किलो सोने से मिलकर बना है। अमृतसर के केंद्र में स्थित यह मंदिर देश के सबसे बड़े गुरुद्वारों में एक है जो कि अपनी आस्था की एक अलग ही कहानी को बयां करता है। आज के इस लेख में हम आपको स्वर्ण मंदिर के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर इस गुरूद्वारे के इतिहास के बारे में विस्तार से बताएंगे।
स्वर्ण मंदिर का इतिहास(Golden Temple History In Hindi)
अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर न केवल सिखों का बल्कि सभी धर्मों की समानता का प्रतीक है। हर इंसान चाहे वो किसी भी धर्म, जाति, समुदाय, पंत से ताल्लुक रखता हो वो अपनी आत्मा की शांति को प्राप्त करने के लिए यहाँ जा सकता है। स्वर्ण मंदिर को श्री हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। स्वर्ण मंदिर के गौरवमयी इतिहास को कलमों के जरिए संजोना इतना आसान नहीं है। जब इस पवित्र गुरूद्वारे के इतिहास की बात आती है तो इसकी नींव चौथे गुरु श्री गुरु रामदास जी ने 1571 ई. में रखी थी और 1577 को सिख समुदाय के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जन देव जी ने इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया था।
पवित्र सरोवर से घिरा हुआ है स्वर्ण मंदिर(Golden Temple Sarovar History In Hindi)
स्वर्ण मंदिर के आस पास स्थित कुंडों को अमृत सरोवर के नाम से जाना जाता है जिसे भक्तों के द्वारा पवित्र कुंड का दर्जा प्राप्त है। स्वर्ण मंदिर में पूजा करने से पहले सभी भक्त इस अमृत सरोवर में डुबकी लगाते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि इस सरोवर में डुबकी लगाने से भक्तों को आध्यात्मिक संपत्ति अर्जित होती है। वहीं कुछ धर्म गुरुओं का मानना है कि इस अमृत कुंड में डुबकी लगाने से असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है।
शिल्प सौंदर्य का अद्भुत मिसाल है स्वर्ण मंदिर
लगभग 400 साल पुराने इस गुरूद्वारे का नक्शा खुद गुरु अर्जुन देव जी ने तैयार किया था। यह गुरुद्वारा न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में शिल्प सौंदर्य की अद्वितीय मिसाल है। इसकी नक्काशी और बाहरी सुंदरता दूर दूर से पर्यटकों को अपनी ओर खूब आकर्षित करते हैं। मंदिर को संगमरमर की मूर्तियों और चित्रों से सजाया गया है। मंदिर के शीर्ष पर स्थित गुंबद 24 कैरेट शुद्ध सोने का बना हुआ है। गुरुद्वारे के चारों ओर दरवाजे स्थित हैं जो कि समाज के चार वर्गों को प्रदर्शित करते हैं। स्वर्ण मंदिर में आपको हिन्दू और इस्लामी वास्तुकला का मिश्रित उदाहरण देखने को मिलेगा।
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स्वर्ण मंदिर में इस्तेमाल किये गए सोने की बात करें तो इसमें 500 किलो ग्राम से भी अधिक सोने का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर के अंदर सोने की परत चढ़ाने के लिए देश के सभी हिस्सों से कुशल कारीगरों को बुलाया गया था।
तो यह था स्वर्ण मंदिर का गौरवमयी इतिहास।(Golden Temple History In Hindi)