गुरु रविदास जयंती (Guru Ravidas Jayanti 2024), संत गुरु रविदास के जन्मदिवस के सम्मान के लिए मनाई जाती है। इस वर्ष गुरु रविदास का 647 वां जन्मदिवस मनाया जा रहा है। इनका जन्म लगभग सन 1450 में बनारस में हुआ था। गुरु रविदास पंद्रहवें सिख गुरुओं में से एक हैं और यह बक्ती आंदोलन में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध थे। गुरु रविदास एक कवि, एक अध्यात्मवादी, एक यात्री, एक सुधारवादी और एक विचारक थे इन्होने लोगो को बिना किसी भेद-भाव के आपस में प्रेम से रहने की शिक्षा प्रदान की। वह जात-पात के विरोधी थे।
रविदास जी के संत गुरु रविदास बनने की कहानी।(Guru Ravidas Jayanti Story In Hindi)
एक कथा के अनुसार कहा जाता है कि एक दिन रविदास जी का मित्र उनके साथ खेलने नहीं आता, वो उसे ढूंढने निकल पड़ते है। उन्हें पता चलता है कि उनके मित्र कि मृत्यु हो चुकी है, ये देखकर रविदास जी बहुत दुखी होते है और अपने मित्र को बोलते है,”उठो ये समय सोने का नहीं है, मेरे साथ खेलो।” यह सुनते ही उनका उनके मित्र के प्राण वापस आ जाते है। ऐसा इसलिए होता है क्योकि संत रविदास जी को बचपन से ही आलोकिक शक्तिया प्राप्त थी। समय के साथ उन्होंने अपनी शक्तिया भगवान् कि भक्ति में लगायी और लोगो का भला करने लगे और उन्हें संत कि उपाधि प्राप्त हुई।
संत रविदास जी मीराबाई के गुरु थे, मीराबाई ने इन्ही से प्रेरणा लेकर भक्ति मार्ग अपनाया था। रविदास जयंती के दिन सभी गुरुद्वारों को बहुत अच्छे से सजाया जाता है और गुरु रविदास महाराज कि आराधना में प्रार्थनाये कि जाती है। संत रविदास महाराज के दोहे पढ़ने से हमे आज भी जीवन में बहुत कुछ सिखने को मिलता है।
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