Ravan Purva Janam Story In Hindi: महाभारत के समय के कई किस्से आज भी मौजूद हैं जिनके बारे में कोई ढंग की जानकारी नहीं मिली है। महाभारत काल के उन्हीं रहस्यों में से एक रहस्य है रावण के पुनर्जन्म के बारे में। सनातन धर्म के ग्रंथों के अनुसार रावण का उल्लेख त्रेतायुग में मिलता है और इसका वध भगवान श्री राम ने किया था। वहीं कहीं कहीं पर इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि रावण ने द्वापरयुग में भी जन्म लिया था और तब भी उसकी मृत्यु भगवान श्री हरी नारायण यानी की भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण के हांथो हुई थी। आज के इस लेख में लंका के राजा रावण के पुनर्जन्म और उसकी मृत्यु के के बारे में विस्तार से बताएँगे।
ऐसे हुआ था द्वापर युग में रावण का जन्म(Ravan Purva Janam Story In Hindi)
धार्मिक ग्रन्थ महाभारत के अनुसार, रावण त्रेतायुग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के शत्रु के रूप में जन्मा था, तो वहीं द्वापर युग में रावण का जन्म भगवान श्री कृष्ण के रिश्तेदार के रूप में हुआ था। महाकाव्य में उल्लेखित जानकारी के अनुसार रावण ने भगवान श्री कृष्ण की बुआ के गर्भ से जन्म लिया था और उसके जन्म के समय ही उसकी मृत्यु की घोषणा हो गई थी। असल में जब रावण ने श्री कृष्ण की बुआ की गर्भ से जन्म लिया तो उसका शरीर एक सामान्य शिशु की भांति नहीं था। अपितु उसका शरीर किसी राक्षस समान था।
उसके शरीर में चार हाथ और माथे पर एक सींग था, रावण के पुनर्जन्म के समय एक भयंकर आकाशवाणी हुई और उस आकाशवाणी में उसके मृत्यु से संबंधित जानकारी भी दी गई थी। आकाशवाणी के अनुसार, जिसकी भी गोद में जाने के बाद उसका शरीर सामान्य शिशु की भांति हो जाएगा उसके ही हाथों से उसकी मृत्यु होगी। श्री कृष्ण जब अपनी बुआ के बेटे को देखने पहुंचे और बुआ के कहने पर उन्होंने उस शिशु का नाम शिशुपाल रखा। श्री कृष्ण ने शिशुपाल को अपनी गोद में उठाया तो उसका शरीर एक सामान्य शिशु की तरह हो गया और यह सिद्ध हो गया कि शिशुपाल का वध भगवान श्री कृष्ण के हाथों होगा।
ऐसे हुआ शिशुपाल का वध
पूरे घटनाक्रम को देखकर श्रीकृष्ण की बुआ रोने लगी और श्री कृष्ण से शिशुपाल के 100 अपराध को क्षमा करने का वचन लिया और महाभारत के समय श्री कृष्ण ने बुआ को दिए गए वचन को निभाया। युधिष्ठिर की राजसभा में जब शिशुपाल भगवान श्री कृष्ण का अपमान कर रहा था तो श्री कृष्ण ने शिशुपाल के 100 अपराधों को माफ़ कर दिया और जब शिशुपाल ने 101 वां अपराध किया तो भगवान श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर काट दिया था।
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तो इस प्रकार से रावण ने महाभारत काल में पुनर्जन्म लिया था और उसकी मृत्यु भगवान श्री कृष्ण के हाथों हुई थी।